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Friday, April 26, 2024

फ़ज़र की नमाज़ के लिए नही उठ पा रहे हैं, तो इसकी वजह नींद नही बल्कि, हज़रत अली का फरमान सुनिये हर ईमान….

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अच्छा दोस्त हाथ और आंख की तरह होते हैं जब हाथ को दर्द होता है तो आंख रोती है और जब आंख रोती है तो हाथ आंसू साफ करता है।एखलाक वो चीज है जिसकी कीमत कुछ नहीं देना पड़ती मगर उससे हर चीज खरीदी जा सकती है। जो हक को छोड़कर इज्जत का तलबगार होता है वो जलील होकर रहता है, और जो हक के साथ दुश्मनी रखता है उसके लिए जिल्लत उसका हमेशा के लिए मुकद्दर बन जाती है । हथियारों से जंग तो जीती जा सकती है मगर दिल नहीं दिल तो किरदार से जीते जाते हैं।

जाहिर नहीं करता कि आप गलत और दूसरा सही है बल्कि यह जाहिर करता है कि आपके रिश्ते की अहमियत आपके आना से बढ़कर हैं अच्छे वक्त से ज्यादा अच्छा दोस्त अज़ीज़ रखो क्योंकि अच्छा दोस्त बुरे वक्त भी अच्छा बना देता है रिश्तो की खूबसूरती एक दूसरे की बात को बर्दाश्त करना है बेऐब इंसान तलाश मत करो वरना अकेले रह जाओगे जब इंसान की अकल मुकम्मल हो जाती है उसकी बात मुख्तसर (कम बोलने लगता है) हो जाती है।

हजरत अली रज़ि अल्लाह हू अन्हो से किसी आदमी ने पूछा मैं बहुत कोशिश करता हूं कि सुबह की नमाज पढ़ो मगर उठा नहीं जाता हज़रत अली रजि अल्लाहू उन्हु ने फरमाया यह नींद की वजह से नहीं बल्कि तुम जो सारे दिन में गुनाह करते हो वो तुम्हारे गर्दन में तौक़, हाथों में हथकड़ी, और पांव में बेड़ियां बांध कर तुम्हें उठने नहीं देते हैं ।

ईमान और हाय दो ऐसे परिंदे हैं कि अगर उनमें से एक उड़ जाए तो दूसरा खुद ही उड़ जाता है। हज़रत अली रजि अल्लाहु अन्हु ने फरमाया उसकी दोस्ती पर एतबार ना कर जो अपने वादे को पूरा ना करता हो। यह दुनिया एक वक़्त तक रहेगी और आख़िरत हमेशा तक। माफ करना सबसे ज्यादा उसे ज़ेब देता है जो सजा देने पर भी क़ादिर हो। जिसकी उम्मीदें अल्लाह के साथ हो वो कभी नाकाम नहीं होता, नाकाम वो होता है जिसकी उम्मीदें दुनिया वालों के साथ हों।

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