पटनाः बिहार की राजनीति में अब धीरे-धीरे धर्मांतरण का मुद्दा गर्माता जा रहा है। गया जिले से खबरें सामने आ रही हैं कि गरीब तबके के लोगों का धर्म परिवर्तन किया जा रहा है। वे अपने धर्म को छोडकर ईसाई धर्म को अपना रहे हैं। अब इस मामले में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कहा है कि जब अपने घर में मान-सम्मान नही मिले तो बदलाव आना स्वाभाविक है।
उन्होंने कहा कि धर्मांतरण का मुख्य कारण भेदभाव है। जब अपने घर में मान न मिले तो स्वभाविक है कि लोग दूसरे घरों में जाएंगे ही, घर के मालिक को समझना चाहिए कि आखिर वह क्यों जा रहे हैं? जब भी घर लचीला हुआ है, तब ही उस धर्म का प्रचार हुआ है और जब जब धर्म कठोर-जिद्दी हुआ तब-तब उस धर्म का नाश हुआ है।
मांझी ने खुद के बारे में भी कहा कि जब भी वे किसी भी मंदिर में जाते हैं तो बाहर निकलने के बाद मंदिर को धोया जाता है। ऐसे में आखिरकार क्या समझा जाए?
बता दें कि गया जिले के डोभी प्रखंड के पांच सौ से ज्यादा लोगों के धर्म बदलने का मामला सामने आया है। इससे पहले गया शहर के नगर प्रखंड स्थित नैली पंचायत के बेलवादीह गांव में करीब 50 परिवारों के धर्मांतरण का मामला उजागर हुआ था। कहा जा रहा है कि लोगों की बीमारी ठीक करने से लेकर वेतन तक के लालच पर धर्म बदला जा रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, गया जिले के सूदूरवर्ती गांवों में ईसाई धर्म का कैंप लगाकर उसे अस्थायी चर्च का रूप दिया जाता है। जिसमें लोगों को हिन्दू धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपनाने की सलाह दी जा रही है। साथ ही ऐसी भी चर्चा है कि धर्मांतरण के लिए मुफ्त वेतन तक देने का प्रलोभन दिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि गया जिले के कई महादलित धर्म परिवर्तन कर ईसाई बन गए हैं। सबसे ज्यादा टारगेट पर मांझी यानि मुशहर जाति के लोग हैं। गरीब और अशिक्षित तबके से आने वाले मुशहर जाति के लोगों का बडे़ पैमाने पर धर्म परिवर्तन कराया गया है।