दिल्ली की एक अदालत ने शरजील इमाम के खिलाफ सोमवार को आरोप तय किए। शरजील इमाम पर देशद्रोह का चार्ज लगाया गया है। उस पर सीएए कानून के खिलाफ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और दिल्ली के जामिया इलाके में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। वह 2020 से जेल में हैं।
जेएनयू के पूर्व छात्र रजील इमाम को पिछले साल बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में शरजील के खिलाफ मणिपुर,असम और अरुणाचल प्रदेश की पुलिस ने भी FIR दर्ज की थी। हालांकि, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, असम और अरुणाचल प्रदेश के मामलों में उसे जमानत मिल चुकी है।
उधर, हिंदू सेना और हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस नाम के दो हिंदू संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि हरिद्वार और दिल्ली में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषणों के आरोपों से संबंधित याचिका में पक्षकार के रूप में उन्हें शामिल किया जाए। दोनों संगठनों ने इस मामले में हस्तक्षेप की अनुमति के साथ आवेदन दाखिल किए हैं।
सीजेआई एनवी रमन्ना, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच हरिद्वार और दिल्ली में हाल में आयोजित हुए कार्यक्रमों में नफरत फैलाने वाले भाषण देने वाले लोगों के खिलाफ सुनवाई कर रही है। बेंच ने एक याचिका पर 12 जनवरी को केंद्र, दिल्ली पुलिस और उत्तराखंड पुलिस को नोटिस जारी किए थे।
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अपनी याचिका में हिंदू समुदाय और उनके देवी-देवताओं के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों पर विरुद्ध केस दर्ज कराने का अनुरोध किया है। उन्होंने AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी, तौकीर रजा, अमानतुल्ला खां, वारिस पठान पर आरोप लगाया है।
याचिका में हेट स्पीच की जांच के लिए एसआईटी को निर्देश देने का अनुरोध भी किया है। एक अन्य संगठन हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने हस्तक्षेप आवेदन दायर कर अनेक मुस्लिम नेताओं के कथित नफरत फैलाने वाले भाषणों के इंटरनेट लिंक दिए हैं।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने 12 जनवरी को पत्रकार कुर्बान अली और पटना हाईकोर्ट की पूर्व जस्टिस अंजना प्रकाश की याचिका पर नोटिस जारी किए थे। इस याचिका में 17 और 19 दिसंबर 2021 को हरिद्वार और दिल्ली में दिए गए भाषणों का उल्लेख कर कार्रवाई की मांग की गई थी।
याचिका में कहा गया है कि एक कार्यक्रम हरिद्वार में यति नरसिंहानंद की तरफ से और दूसरा कार्यक्रम दिल्ली में हिंदू युवा वाहिनी की तरफ से आयोजित किया गया था। इनमें एक विशेष समुदाय के सदस्यों के नरसंहार का आह्वान किया गया था।