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Thursday, April 25, 2024

सुप्रीम कोर्ट में तलाक – ए- हसन को चुनौती देने वाली दो याचिका पर सुनवाई, कोर्ट ने पतियों को नोटिस जारी किया

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को दो अलग-अलग मुस्लिम महिलाओं द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कि और उनके पतियों को नोटिस जारी किया है।

याचिका में तलाक-ए-हसन (Talaq-e-Hasan) को चुनौती दी गई है। जस्टिस संजय किशन कौल और अभय एस ओका की बेंच ने मामले को 11 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को कहा कि इसकी प्राथमिकता तलाक-ए-हसन की पीड़ित महिलाओं को न्याय और राहत दिलाना है। इसके बाद यह तय किया जाएगा कि तलाक का ये रूप वैध या नहीं। मुस्लिम समुदाय में दिया जाने वाला तलाक-ए-हसन के तहत पुरुष अपनी पत्नी को केवल बोलकर ही तलाक दे सकता है। तलाक-ए-हसन की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली ये दोनों याचिका बेनजीर हिना और नजरीन निशा ने दायर की है।

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तलाक ऐसे दिया जैसे कमरा खाली करने को मकान मालिक का नोटिस हो

एक याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि तलाक इस तरह से दिया गया जैसे मकान मालिक घर खाली करने का नोटिस देता है। उसने यह भी बताया कि एक तीसरा शख्स उसके पति की ओर से ये नोटिस भेज रहा है। कोर्ट ने कहा कि पहले मामले को समाधान होना चाहिए।

असंवैधानिक करार दिया जाए तलाक-ए-हसन

अलग-अलग दायर याचिकाओं में महिलाओं ने कोर्ट से निर्देश देने की मांग कि तलाक-ए-हसन और एकतरफा दिए जाने वाले सभी तलाक को असंवैधानिक करार दिया जाए। मुंबई निवासी याचिकाकर्ता ने खुद को तलाक-ए-हसन का पीड़ित होने का दावा किया और कहा कि यह जनहित याचिका व समाज में आर्थिक तौर पर कमजोर उन महिलाओं के लिए दायर कर रही है जो पति के हाथों शोषित होती हैं। विकास के लिए दायर कर रही है।

इन अनुच्छेदों को भी हटाने की मांग

याचिका में मुस्लिम पर्सनल ला की धारा 2 को असंवैधानिक करार देने की भी मांग है। याचिका में मुस्लिम पर्सनल ला की धारा 2 को असंवैधानिक करार देने की भी मांग है। याचिका में कहा गया है कि तलाक-ए-हसन और एकतरफा तलाक के सभी तरीकों की प्रथा अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन करता है और इसलिए असंवैधानिक घोषित करने के लिए कोर्ट निर्देश जारी करे। साथ ही मुस्लिम विवाह अधिनियम 1939 को भंग करने के साथ ही इसे अवैध करार देने की मांग भी है। याचिकाकर्ता का कहना है कि ये सभी मुस्लिम महिलाओं को सुरक्षित करने में असफल हैं।

तीन तलाक से इस तरह अलग है तलाक-ए-हसन

तीन महीने में एक निश्चित अंतराल के बाद ‘तलाक’ बोलकर पति अपनी पत्नी से संबंध तोड़ सकता है। तीन तलाक में एक बार ही बोला जाता था। तीन महीने पूरे होने और आखिरी बार तलाक बोलने के साथ ही दोनों के रिश्ते टूट जाते हैं।

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Ahsan Ali
Ahsan Ali
Journalist, Media Person Editor-in-Chief Of Reportlook full time journalism.

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