वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सर्वे टीम द्वारा मस्जिद के वज़ू खाने में लगे फव्वारा को शिवलिंग की बात कहे जाने के बाद आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अब मस्जिद मामले में खुद कोर्ट में पैरवी करने का निर्णय लिया है।
इस मामले बोर्ड पहले ही अपनी नाराजगी जताते हुए हुए वजुखाने को सील किये जाने की कार्यवाही को गैर कानूनी बता चुका है। इस पूरे प्रकरण में मुस्लिम पक्ष कार मस्जिद के वज़ू खाने में मिले कतीथ शिवलिंग को टूटा हुआ फव्वारा बता रहा है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ज्ञानवापी मामले में बयान जारी कर बेहद नाराजगी दर्ज कराते हुए कहा था कि ज्ञानवापी मस्जिद और उसके परिसर में सर्वे का आदेश और अफवाहों के आधार पर वजू खाना बंद करना अन्याय पर आधारित है और मुसलमान इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। बोर्ड के इस बयान के से ही आशंकाए लगाई जा रही थी कि बोर्ड इस तरह के मामलों पर कोई पहल कर सकता है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जिम्मेदार लोगों ने मौजूदा वक्त के ज्वलंत मुद्दों पर बोर्ड अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी की अध्यक्षता में बैठक की। बैठक में बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य असदुद्दीन ओवैसी मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली समेत तमाम लोग मौजूद रहे।
वर्चुअल बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर फैसला लिया गया। जिनमें सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा मौजूदा वक्त में मस्जिदों को लेकर उठाए जा रहे हैं विवाद है। बोर्ड की बैठक में ज्ञानवापी मस्जिद का मसला गर्म रहा। बोर्ड की तरफ से फैसला लिया गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद में बोर्ड की तरफ से एक लीगल कमेटी बनेगी, जिसमे कानूनी तौर पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ज्ञानवापी मामले में एक कमेटी बनाएगी और ज्ञानव्यापी मामले में इन्तिज़ामिया कमेटी से पूरा मामला टेक ओवर करेगी।
उसके बाद कोर्ट में आगे की कार्रवाई बोर्ड की तरफ से बनाई गई लीगल टीम द्वारा की जाएगी। अगले दो-तीन दिनों के भीतर दिल्ली में एक बैठक बुलाकर लीगल कमेटी का गठन किया जाएगा।
बोर्ड की तरफ से यह लिया गया फैसला
ज्ञानव्यापी के साथ ही मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद और कर्नाटक की टीपू सुल्तान मस्जिद में भी इंतजामिया कमेटी को साथ लेकर बोर्ड की तरफ से लीगल टीम बनाई जाएगी। यही टीम सभी मस्जिदों में कोर्ट की तरफ से जरूरत पड़ने पर पैरवी करेगी। इसके साथ ही साथ बोर्ड ने इस बात पर भी नाराजगी जताई है की अयोध्या के मामले के बाद से इस तरह जानबूझकर कर मस्जिदों के इशू उठाए जा रहे, जो सही नही है।
बोर्ड ने यह भी कहा है कि सभी ऐतिहासिक मस्जिदों में जुमे की नमाज के दौरान लोगों को उस मस्जिद से जुड़े हुए तमाम पहलुओं के बारे में जानकारी दी जाए। बोर्ड ने कहा है कि कभी कुतुबमीनार कभी ताजमहल तो कभी किसी और जगह के नाम पर मस्जिदों को लेकर उठाए जा रहे मुद्दे समाज में हिंदू मुस्लिम भाईचारे को खत्म कर रहे हैं, इसलिए इन मामलों में बोर्ड आगे आकर कानूनी तौर पर लड़ाई लड़ेगा।