सुप्रीम कोर्ट गुरुग्राम नमाज मामले में हरियाणा के अधिकारियों के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के लिए सहमत हो गई है. इसमें मांग की गई है कि गुरुग्राम में जुमे की नमाज की घटनाओं को रोकने में विफल रहने पर हरियाणा के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की जाए।
अदीब की ओर से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया। इसके बाद जस्टिस रमण उपयुक्त पीठ के समक्ष याचिका सूचीबद्ध करने के लिए सहमत हो गए। जयसिंह ने कहा कि यह केवल अखबारों की खबरों पर आधारित नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हमने खुद शिकायत दर्ज की है। हम प्राथमिकी को लागू करने के लिए नहीं कह रहे हैं। इस अदालत ने निवारक उपाय निर्धारित किए हैं।’
इस पर पीठ ने कहा, ‘हम इस पर गौर करेंगे और तत्काल उचित पीठ के समक्ष पेश करेंगे। हरियाणा सरकार ने दिसंबर, 2021 में स्थानीय निवासियों के विरोध के बाद गुरुग्राम के सार्वजनिक पार्कों में शुक्रवार की नमाज पर प्रतिबंध लगा दिया है।
अपनी याचिका में पूर्व राज्यसभा सांसद अदीब ने हरियाणा के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, आईएएस संजीव कौशल और आईपीएसपी के अग्रवाल के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने सांप्रदायिक और हिंसक प्रवृत्तियों को रोकने में हरियाणा के शीर्ष अधिकारियों द्वारा पूरी तरह से निष्क्रियता बरतने का आरोप लगाया है।
अदीब ने तर्क दिया कि हरियाणा के अधिकारी 2018 के तहसीन पूनावाला मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने में विफल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भीड़ द्वारा हिंसा मॉब लिंचिंग और घृणा अपराधों हेट क्राइम की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने और रोकने के निर्देश दिए थे।