6.4 C
London
Thursday, March 28, 2024

भारत के हिंदू बहुल होने के कारण अल्पसंख्यकों को माना जाए कमजोर, SC में आयोग ने कहा

- Advertisement -spot_imgspot_img
- Advertisement -spot_imgspot_img

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (National Commission for Minorities)  ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं को जायज ठहराया है. आयोग ने सुप्रीम कोर्ट (SC) से कहा है कि भारत जैसे देश में जहां हिंदू सशक्त है, वहां संविधान के आर्टिकल 46 के तहत अल्पसंख्यकों को ‘कमजोर वर्ग’ माना जाना चाहिए. आर्टिकल 46 के तहत सरकार का ये दायित्व बनता है कि वो कमज़ोर वर्गों के शैक्षणिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा दे. आयोग का यह जवाब एक हिंदू संगठन के छह सदस्यों की उस याचिका पर आया है जिसमें धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए विशेष योजनाओं और अल्पसंख्यक आयोग के गठन पर आपत्ति जताई गई थी.

इसके जवाब में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने कहा है कि अगर सरकार देश में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए विशेष योजनाएं नहीं लाती है, तो ऐसी सूरत में बहुसंख्यक समुदाय द्वारा उन्हें दबाया जा सकता है. 

कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि संविधान का अनुच्छेद 27 इस बात की मनाही करता है कि करदाताओं से लिया गया पैसा सरकार किसी धर्म विशेष को बढ़ावा देने के लिए खर्च करे. लेकिन सरकार वक्फ संपत्ति के निर्माण से लेकर अल्पसंख्यक वर्ग के छात्रों, महिलाओं के उत्थान के नाम पर हजारों करोड़ रुपए खर्च कर रही है. ये बहुसंख्यक वर्ग के छात्रों और महिलाओं के समानता के मौलिक अधिकार का भी हनन है.

हालांकि इससे पहले केंद्र सरकार ने भी SC में दाखिल जवाब में अल्पसंख्यक समुदाय के लिएकल्याणकारी योजनाओं का ये कहते हए बचाव किया था कि योजनाओं के पीछे उद्देश्य हर वर्ग का संतुलित विकास है. ये बहुसंख्यकों के अधिकारों का हनन नहीं करता.

गौरतलब है कि इससे पहले मोदी सरकार भी अल्पसंख्यकों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को वाजिब बता चुका है. उसका कहना है कि ये योजनाएं हिंदुओं के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करतीं और न ही समानता के सिद्धांत के खिलाफ हैं.

केंद्र और एनसीएम ने भारत में मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों, बौद्धों, जैनियों और पारसियों को अल्पसंख्यक समुदायों के रूप में अधिसूचित किया है. यह तर्क देते हुए कि केवल हिंदुओं, सिखों और बौद्धों को अनुसूचित जाति के रूप में लाभ मिल सकता है, आयोग ने तर्क दिया कि यदि ये विशेष प्रावधान धर्म-विशिष्ट होने के बावजूद मान्य थे, तो धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए विशेष प्रावधान भी उसी तरह से उचित थे.

- Advertisement -spot_imgspot_img
Jamil Khan
Jamil Khan
जमील ख़ान एक स्वतंत्र पत्रकार है जो ज़्यादातर मुस्लिम मुद्दों पर अपने लेख प्रकाशित करते है. मुख्य धारा की मीडिया में चलाये जा रहे मुस्लिम विरोधी मानसिकता को जवाब देने के लिए उन्होंने 2017 में रिपोर्टलूक न्यूज़ कंपनी की स्थापना कि थी। नीचे दिये गये सोशल मीडिया आइकॉन पर क्लिक कर आप उन्हें फॉलो कर सकते है और संपर्क साध सकते है

Latest news

- Advertisement -spot_img

Related news

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here