बॉलीवुड एक्टर दिलीप कुमार का 98 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। दिलीप कुमार बीते कई दिनों से मुंबई के हिंदूजा अस्पातल में भर्ती थे और उन्होंने बुधवार की सुबह 7:30 बजे दुनिया को अलविदा कह दिया। दिलीप कुमार के निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम बॉलीवुड कलाकारों ने ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। दिलीप कुमार का असली नाम तो युसुफ खान था, लेकिन उन्होंने बॉलीवुड में ‘दिलीप’ नाम से पहचान बनाई। उनके निधन पर मशहूर पत्रकार सुरेश च्वहाणके ने ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने सवाल किया कि उन्हें जलाया जाएगा या दफनाया जाएगा?
सुदर्शन न्यूज चैनल के संपादक सुरेश च्वहाणके ने दिलीप कुमार को लेकर ट्वीट में लिखा, “दिलीप कुमार नाम से प्रसिद्ध अभिनेता मोहम्मद यूसुफ खान नहीं रहे।” मशहूर पत्रकार यहीं नहीं रुके।
सुरेश च्वहाणके ने अपने एक ट्वीट में एक्टर को लेकर सवाल भी किया, “जिस दिलीप कुमार नाम से प्रसिद्धी, पैसा और प्रतिष्ठा पाई, उस नाम के मुताबिक जलाया जाएगा या यूसुफ खान नाम से दफनाया जाएगा?”
दिलीप कुमार को लेकर किये गए इस ट्वीट को लेकर सुरेश च्वहाणके ट्रोल्स के निशाने पर आ गए हैं। रिजवान नाम के एक यूजर ने उनके ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा, “गंगा किनारे जब लोगों को दफनाया जा रहा था, तब आपके संस्कार कहां चले गए थे। आपको याद नहीं आ रहा था कि जलाया जाए कि दफनाया जाए?”
अभिषेक नाम के एक यूजर ने सुरेश च्वहाणके के ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा, “हमारे सनातन में तो दुश्मन की मृत्यु पर भी सम्मान देने की परंपरा रही है और फिर आते हैं आप जैसे संकीर्ण मानसिकता के लोग।” रवि नाम के एक यूजर ने लिखा, “इतना ज्यादा मत बोला करो, कभी कभी चुप रहना ही अच्छा होता है।”
सुरेश च्वहाणके के ट्वीट पर आए कमेंट यहीं नहीं रुके। एक यूजर ने उनके ट्वीट के जवाब में लिखा, “कुछ बोलते हो, लिखते हो, जहर ही फैलाते हो समाज में।” राहुल नाम के एक यूजर ने लिखा, “अगर हिम्मत है तो कलाम साहब को भी इस कैटेगरी में डालकर दिखाओ। अच्छे लोगों की इज्जत करना सीखो। इस नफरत में बहुत कुछ खो दोगे।”
सुमित नाम के एक यूजर ने सुरेश च्वहाणके के दिलीप कुमार को लेकर किए गए ट्वीट के जवाब में लिखा, “दिखा दिया अपना जाहिलपन, दिलीप साहब देश की शान हैं और उन्होंने भारतीय सिनेमा में अपने अभिनय की अमिट छाप छोड़ी है। देवदास हो या सलीम, उनके किरदार हमेशा ही याद किये जाएंगे।”
बीजेपी के टच मे रहने वालो कि मानसिकता खतम हो चुकी है
सुरेश सर को जो भी गलत बोल रहे हिन्दू नहीं ….सब के सब लन्ड फ़क़ीर के पैदाइस है
Pls leave Dilip sahib out of this shit……Hw will always remain legend of both muslims n Hindus…
ये देश की धरोहर है. इन्हें हम अपने जीवन में और दिल में जगह दें. ये बोल कर की इन्हें दफनाया जाए या जलाया जाए इनका अपमान करने का किसी को हक नहीं है. पूरे जीवन में दिलीप साहब ने ये नहीं कहा कि वो किसी धर्म विशेष को मानते हैं. वो अच्छे इंसान थे और मानवता के मिशाल थे. उनके दिल में सभी के लिए सम्मान था. इसलिए इनके नाम पर कोई टिका टिप्पणी न करें.
आप जैसे के कारण ही देश टुकड़े में बंट रहा है
It doesn’t matter if he will be buried or burnt. He had to change name because Muslims didn’t had so much acceptance then. But now it is not the case. But real issue is, now days actors are prospering despite their Muslim names but still shout that there is intolerance.
कलाम साहब का और दिलीप कुमार का कोई मुकाबला नहीं है दिलीप कुमार एक एक्टर थे, कलाम साहब देश के लिए काम करने वाले एक वैज्ञानिक थे, दिलीप कुमार ने पैसा कमाने के लिए नाम बदल लिया, अपने अभिनय के लिए पैसा लिया कलाम साहब ने देश की सेवा की। दोनों में जमीन आसमान का अंतर है
Sahi kaha aapne
ऐसे लोग पत्रकरिता के क़ाबिल नही है ! लेकीन अफ़सोस की बीजेपी सरकार में ऐसे पत्रकारों को प्रोहोत्सन दिया गया और ये पत्रकार कुँए के मेढक की तरहा टर टर करने लगे ऐसे पत्रकार कभी सरकार से भी ये सवाल पूछ लेते की गंगा किनारे दफनाये गये लोग हिन्दू थे तो उनको दफ़नाया क्यूँ गया मोदी सरकार के सामने तो ऐसे पत्रकारों का पेंट गिला हो जाता है !
सुरेश जी ने सही पूछा लेकिन जयचंदो को मिर्ची लगनी जरूरी थी ये सब वो कुत्ते है जो अयोध्या में हॉस्पिटल के मांग कर रहे थे
दिलीप कुमार जैसी दिग्गज हस्तियों के लिए ऐसे भद्दे कमेंट शोभा नहीं देते सुधी पत्रकार बन्धु ऐसे गमगीन माहौल में ऐसे वक्तव्य न दें।
इसमें क्या गलत पूछ लिया सुरेश जी ने कि इतना बवाल हो रहा हे ,आज भी लाखो लोगो को पता ही नही होगा कि दिलीप कुमार जी मुस्लिम हे,,ओर लाखो लोगो को पता इन दिनों ही चला होगा ,,लेकिन दिलीप जी की जिंदगीमे में भी कई बाते रहस्यमई पढ़ने को मिली हे,,,क्या जरूरत पड़ी की मुस्लिम होते हुए भी हिंदू नाम रखना पढ़ा,,,
में भी दिलीप कुमार जी का जबरदस्त फैन हु
यह कहना उचित नहीं होगा कि दिलीप कुमार साहब और कलाम साहब में जमीन आसमान का अन्तर है क्योंकि दोनों ही देश की महान हस्तियों ने अपने अपने कार्यक्षेत्र में अपनी असाधारण सेवाओं से देश का मान बढ़ाया है। दिलीप साहब ने यदि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में अपने उत्कृष्ट एवं अविस्मरणीय अभिनय का प्रदर्शन करते हुए सिनेमा के क्षेत्र में भारत को गगनचुंबी स्थान दिला कर नाम, शोहरत एवं धन कमाया है तो कलाम साहब ने विज्ञान के क्षेत्र में अपना उत्कृष्ट योगदान देकर देश का मान बढ़ाया है बदले में उन्हें उक्त पद के वेतन के रूप में देश से धन प्राप्त हुआ है । इस लिए दोनों ने अपने अपने कार्यक्षेत्र में देश की उत्कृष्ट सेवा की है अतः पूर्व आग्रह से ग्रसित हो कर अथवा संकुचित दृष्टिकोण अपनाते हुए किसी का मानमर्दन मत कीजिए इसलिए कि दोनों ही अपने अपने कार्यक्षेत्र के धुरंधर खिलाड़ी हैं।
Right
इन सब से ये पूछो की जब 1965 के भारत पाकिस्तान के युध्द मे इसी दिलीप कुमार् उर्फ खान ने जो अपने घर पर TRANSMITAR लागकर् जो पाकिस्तान को मदत की, जब पकडे गये तो तत्कालीन पंतप्रधान जवाहर नेहरू के कहने पर छोड़ दिया था इस देश द्रोही को कहेका अभिनेता बे सब यही कमा रहे है और पाकिस्तान की गा रहे है सभी को देख लो जितने भी खान है किसी और को नही आगे जाने देते हा लडकीया हिदू की हि हीरोइन होगी मुल्ली नही चलेगी सभी तुम्हारे धर्म की धज्जिया और तुम् उसे अभिनय या फिल्म बोलो लेकिन वोह तुम्हारी गांड और तुम्हारा तेल तुम्हारा ही बिस्तर पे मार् कर चले जाते है और तुम् उसे अभिनय कहकर तालि बजाते हो सही पूछा सवाल है
Bilkul Sahi sawaal jisne saari Jeevan Hindu naam SE jiya naam kamaaya paisa kamaaya to fir Woh Muslim kahaan Raha ya to fir Ghar par Muslim and baahar hindu
Raman sharma tumhaare Jaise logo ke Karan hi hum hazaaron SAALON tak ghulam rahe .
Apni Soch mein kattarpan laao Raman sharma Varna Woh din door Nahi jab tere Jaise logo ke kaarn dobaara desh par mrusalmaanon Ka raaj Hoga aurteri aane wali peedhi unke bartan maanjegi ,kashmeeri panditon Ka dhyaan Kar Bhai aur sharm SE doob mar
सिर्फ इतना कहने भर से क़ी उनको दफनाया जाएगा या जलाया जाएगा, दिलीप कुमार जी क़ी तौहीन हो गई क्या ? इतने में उनकी शान मिट्टी में मिल जाएगी क्या ?
कोई मूझे इस क़ा कारण बताएगा क़ी अगर वो यूसुफ खान थे तो उन्होंने अपना नाम दिलीप कुमार क्यूं ओर किसके कहने पर रखा था ? फ़िर उन्होंने जिंदगी भर हिन्दुओं से छलावा क्यूं किया ? सिर्फ शोहरत पाने के लिए ?
मरने के बाद अब अगर वो दिलीप कुमार नहीं रहे ओर यूसुफ खान हो गए हैं तो वो हिन्दुओं के जज्बातों से खेलते क्यूं आ रहे थे?
कुछ लोग कह रहें हैं क़ी वो भारत क़ी शान थे । मैं इन लोगो से पूछना चाहता हूं इन्होने भारत के लिए ऐसा क्या किया था जो ये भारत क़ी शान हो गए ? इनके घऱ में पाकिस्तानी ट्रांसमीटर पकड़ा गया था । पक्के सुबूत मिले थे क़ी वो पाकिस्तान के साथ टच में थे।
डाक्टर कलाम जी के साथ किसी सूअर क़ी तुलना करने वालों थू हैं तुम्हारे चेहरे पर। कलाम जैसा इंसान ना पहले कभी पैदा हुआ ना कभी आगे पैदा होगा।
इस फिल्मी भाण्डिये क़ी मौत पर उतना मुसलमान दुखी नहीं हैं जीतना हिंदू मातम मना रहें हैं। हिंदू अपनी चूडियां ज्यादा तोड़ रहें हैं। पता नहीं क्यूं?
आज हिंदू ही मुसलमानों के वकील बनें बैठें हैं ओर जवाब दे रहें हैं। आज़ मूझे कुछ कुछ अंदाजा हो रहा हैं क़ी सेकुलरीज्म के जहर नें किस हद तक हिन्दुओं क़ो अंधा कर दिया है।
Absolutely right 👌
दिलिप साहब के लिए बस इतना ही कहना है :-
हम जिएंगे और मरेंगे ऐ वतन तेरे लिए….
दिल दिया है जां भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए….
अगर प्रश्न पूछा जाए कि कुत्ते सबसे ज्यादा कहां रहते हैं? तो जवाब होगा भारतवर्ष में रहते हैं और सबसे ज्यादा हिंदू धर्म में रहते हैं जो अपनों पर ही भौंकने और काटने से नहीं चूकते। दिलीप कुमार जैसा जो पाकिस्तान का (निशान – ए – पाकिस्तान) अवार्ड लेकर घूम रहा हो। उसको ना तो जलाना चाहिए ना ही दफनाना चाहिए। उसे तो उठाकर कूड़े में फेंक देना चाहिए सड़ने के लिए और कम से कम कवर और गिद्धों के काम आने के लिए। और चौहान साहब को गाली देने वाले हिंदुओं तुम्हारी तो जो गति होगी वह पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल होगी।
सही प्रश्न किया आपने
क्या जन्म से मुसलमान दफनाया गया या कर्म के नाम से हिन्दू को जलाया गया