नई दिल्ली: दिल्ली की एक कोर्ट ने मंगलवार को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के पूर्व स्टूडेंट शारजील इमाम के खिलाफ दिसंबर 2019 में दिल्ली के जामिया इलाके में और जनवरी 2020 में यूपी की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) विरोधी प्रदर्शन के दौरान उनके द्वारा दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों के लिए देशद्रोह और अन्य आरोप निर्धारित किए हैं।
हालांकि, शरजील इमाम ने अपने आप को निर्दोष बताते हुए मुकदमे का सामना करने की बात कही है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने शरजील इमाम पर IPC में देशद्रोह की धारा 124 ए के साथ ही 153 ए, 153 बी, 505 और 13 गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत आरोप तय किए। अदालत ने 24 जनवरी 2022 को आरोप तय करने का आदेश दिया था।
अदालत ने शरजील की नियमित जमानत याचिका ठुकरा दी थी। कोर्ट ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 26 मार्च, 2022 की तारीख तय की है।
बता दें कि दिसंबर 2019 के शाहीन बाग प्रदर्शन के आयोजकों में शामिल शरजील इमाम को दिल्ली पुलिस ने बिहार के जहानाबाद से 2020 में अरेस्ट किया था।
क्या था शरजील इमाम का बयान:-
वैसे तो शरजील इमाम का भाषण काफी लंबा है, लेकिन हम यहाँ उस हिस्से को पाठकों के समक्ष रख रहे हैं, जिसमे भड़काऊ और देश की अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाली बातें कही गई हैं। CAA विरोधी कार्यक्रम में शरजील ने कहा था कि ‘अब समय आ गया है कि हम गैर-मुस्लिमों से बोलें कि यदि वो हमारे हमदर्द हैं, तो हमारी शर्तों पर आकर खड़े हों। अगर वो हमारी शर्तों पर खड़े नहीं होते तो वो हमारे हमदर्द नहीं हैं।
अगर 5 लाख लोग हमारे पास ऑर्गेनाइज्ड हों तो हम नॉर्थ-ईस्ट को हिंदुस्तान से परमानेंटली काट कर अलग कर सकते हैं। परमानेंटली नहीं तो कम से कम एक-आध महीने के लिए असम को हिंदुस्तान से काट ही सकते हैं। इतना मवाद डालो पटरियों पर, रोड पर कि उनको हटाने में एक महीना लगे। जाना हो तो जाएँ एयरफोर्स से।’