महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे का कहना है कि कांग्रेस और एनसीपी कहें कि उन्हें उनका नेतृत्व मंजूर नहीं तो वो समझ सकते हैं। सुबह कमलनाथ और पवार ने फोन कर उन पर भरोसा जताया। लेकिन जब मेरे ही लोग मुझे सीएम देखना नहीं चाहते तो फिर क्या चारा है। उनका कहना था कि ये बात कहने के लिए सूरत जाने की क्या जरूरत थी। इनमें से 1 भी विधायक उनका सीएम के तौर पर विरोध करता है तो वो त्यागपत्र देने को तैयार हैं। लेकिन जो कहना है मेरे सामने आकर कहें। एक कहावत है कि कुल्हाड़ी की लकड़ी जिस पेड़ से बनती है वो उसी पेड़ को काटती है। उनका कहना था कि इस्तीफा तैयार है पर विधायक सामने आकर कहें।
उनका कहना था कि जब तक शिवसैनिक उनके साथ हैं उन्हें किसी बात की चिंता नहीं। अगर शिव सैनिकों को लगता है कि वो नेतृत्व के लायक नहीं तो वो शिनसेना का नेतृत्व छोड़ने को भी तैयार हैं। उनके पद छोड़ने के बाद कोई शिवसैनिक सीएम बनता है तो उन्हें खुशी होगी पर सामने आकर बात की जाए।
उद्धव का कहना था कि पिछले कुछ दिनों से वो मिल नहीं रहे थे। ये बात सच है, क्योंकि उन्हें चिकित्सा अवकाश लेना पड़ा था। लेकिन ठीक होने के बाद उन्होंने लोगों से मिलना शुरू किया। बीमारी के बाद सबसे पहली कैबिनेट मीटिंग अस्पताल के कमरे के बाहर से की थी। शिवसेना और हिंदुत्व सिक्के का एकस ही पहलू है। ये बात बाला साहेब ने भी कही थी। हिंदुत्व के लिए किसने क्या किया ये सभी जानते हैं। कुछ लोग बोल रहे हैं कि ये बाला साहेब शिवसेना नहीं है। लेकिन उनका सवला था कि क्या फर्क आया है।
बाला साहेब की मृत्यु के बाद 2014 का चुनाव हिंदुत्व के मुद्दे पर लड़ा था। 63 विधायक जीते और मंत्री भी बने। ये नई शिवसेना से ही मिले थे। शिंदे के साथ गए कुछ विधायक बोल रहे हैं कि उन्हें जबरन लाया गया। हाल में विधानपरिषद का चुनाव हुए तो सारे विधायक एक होटल में थे। तब उन्होंने कहा था कि मेहनत से रास्ता निकलता है। विधायकों को साथ रखने की जद्दोजहद करनी पड़ती है। उन्होंने हर जिम्मेदारी को निभाने की कोशिश की। बावजूद इसके कि उनके पास कोई अनुभव नहीं था
सीएम ने कहा कि कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन से पहले शरद पवार ने कहा था कि आप खुद जिम्मेदारी लीजिए। तब मैने कहा था कि नगर निगम चुनाव में भी उन्होंने कभी जिम्मेदारी नहीं ली। पद लेने के पीछे सिर्फ स्वार्थ नहीं है। राजनीति कभी भी पलटी मार सकती है। जब कोविड का संकट महाराष्ट्र में आया तब मेरे पास अनुभव नहीं था। लेकिन तमाम सर्वे में देश के टॉप 5 उन सीएम में उन्हें जगह मिली जो कोविड से निपटने में कारगर रहे थे।