23.1 C
Delhi
Wednesday, May 31, 2023
No menu items!

ताइवान संग चीन का तनाव पहुंचा चरम पर, चीन ने अमेरिका को दी तीसरे विश्व युद्ध की चेतावनी

- Advertisement -
- Advertisement -

दुनिया पर एक बार फिर से महायुद्ध का खतरा मंडरा रहा है और ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन आमने-सामने आ गये हैं। कल ताइवान की राष्ट्रपति ने एशिया में विनाश आने की बात कही थी और अब अब चीन ने मंगलवार को 56 और लड़ाकू विमानों को भेजकर चेतावनी देते हुए कहा है कि ‘किसी भी वक्त’ तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो सकता है।

चीन की तीसरे विश्व युद्ध की चेतावनी

चीन की सरकारी भोंपू मीडिया ग्लोबल टाइम्स अखबार के एक लेख में कहा गया है कि, अमेरिका और ताइवान के बीच ‘मिलीभगत’ इतनी ‘दुस्साहसिक’ है, कि स्थिति अब काबू में आने की संभावना काफी कम है और दोनों देश आमने-सामने खड़़े हो चुके हैं। ग्लोबल टाइम्स में धमकी देते हुए कहा गया है कि, चीन के लोग ताइवान का साथ देने वाले अमेरिका से युद्ध करने के लिए तैयार हैं। वहीं, ग्लोबल टाइम्स ने चेतावनी देते हुए कहा है कि ताइवान ‘आग से खेल रहा है’। ताइवान, एक लोकतंत्र जो खुद को एक संप्रभु राज्य मानता है, उसने चीन और राष्ट्रपति शी जिनपिंग से अपील की है, कि वो ताइवान की हवाई सीमा में लड़ाकू विमानों को भेजना बंद करे। आपको बता दें कि शुक्रवार से अब तक चीन 150 से ज्यादा लड़ाकू विमानों को ताइवान के एयरस्पेस में भेज चुका है और आशंका है कि कभी भी ताइवान पर चीन हमला कर सकता है।

ताइवान ने दी ‘विनाश’ की धमकी

- Advertisement -

चीन ने सोमवार को ताइवान की हवाई सीमा रेखा में एक साथ 56 लड़ाकू विमानों को भेज दिया, जो काफी देर तक ताइवान की सीमा में मौजूद थे और अब ताइवान और चीन के बीच का तनाव काफी ज्यादा बढ़ चुका है। दो दिन पहले ताइवान के विदेश मंत्री ने ‘युद्ध की तैयारी’ शुरू करने का ऐलान किया था, वहीं ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने मंगलवार को ताइवान को आक्रमण से बचाने को लेकर जोरदार बयान दिया है। उन्होंने कसम खाते हुए कहा कि, ताइवान को बचाने के लिए ‘जो कुछ भी करना होगा’ वो करेंगे। हालांकि, उन्होने इस बात को माना कि अगर ताइवान को सहयोगियों की मदद नहीं मिलती है, तो साम्राज्यवादी शक्ति चीन ‘युद्ध’ जीत सकता है, लेकिन उन्होंने कहा कि, अगर युद्ध होता है तो पूरे एशिया में विनाश आएगा।

अमेरिका, ब्रिटेन ने भेजे एयरक्राफ्ट

इस बीच ब्रिटेन की एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ को दो अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस रोनाल्ड रीगन और यूएसएस कार्ल विंसन और जापान के हेलीकॉप्टर विध्वंसक ‘जेएस इसे’ के साथ फिलीपीन सागर में देखा गया है। ये सभी फिलीपीन सागर में युद्धाभ्यास करने के लिए पहुंचे हैं। हांलांकि, डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि युद्धाभ्यास सिर्फ एक बहाना है, असल में अमेरिका, ब्रिटेन और जापानी विध्वंसक ताइवान की मदद के लिए पहुंचे हैं। वहीं, ‘आर्मडा’ संगठन, जिसमें कुल मिलाकर छह अलग-अलग देशों के कई युद्धपोत शामिल हैं, चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच इस क्षेत्र में ‘ट्रेनिंग’ के लिए पहुंच चुके हैं। वहीं, ब्रिटिश और अमेरिकी नौसेना के ताइवान स्ट्रेट में पहुंचने से ड्रैगन भी आग-बबूला हो चुका है और उसने साउथ चायना सी में भयानक युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है।

ताइवान पर प्रेशर बनाता चीन

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताइवान के द्वारा खुद को लोकतांत्रिक देश बताने ‘बेमतलब’ कहा है और 2016 में लोकतांत्रिक पद्धति से देश का राष्ट्रपति बनने वाली साइ पर बीजिंग लगातार प्रेशर बना रहा है। चीन ने ताइवान को लेकर अलग अलग प्रोपेगेंडा करना भी शुरू कर दिया है। सोमावर को चीनी भोंपू ग्लोबल टाइम्स ने एक ऑनलाइन पोल कराते हुए सवाल पूछा था कि ‘क्या ऑस्ट्रेलिया ताइवान का साथ देने को तैयार है…?’। आपको बता दें कि, पिछले महीने के अंत में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने मिलकर ‘ऑकस’ के गठन की घोषणा की है, जो चीन के खिलाफ एक सैन्य गठबंधन है, जिसको लेकर चीन भयानक गुस्से में है, और लगातार आग उगल रहा है। ऑकस के जरिए अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया को न्यूक्लियर ऊर्जा से चलने वाले पनडुब्बी बनाने की टेक्नोलॉजी देने की बात कही है, जिसे ऑस्ट्रेलिया चीन के खिलाफ तैनात करेगा।

क्या युद्ध की है आशंका?

चीन को डर है कि साउथ चायना सी के छोटे-छोटे देश पहले से ही पश्चिमी देशों के प्रभाव में हैं और उनके विरोध के बाद वो साउथ चायना सी पर एकछत्र कब्जा नहीं कर सकता है, लिहाजा ताइवान को लेकर वो काफी ज्यादा आक्रामक हो चुका है और इस बात की पूरी संभावना है कि ताइवान पर चीन हमला कर दे और अगर ऐसा होता है तो महायुद्ध का खतरा मंडरा सकता है। मंगलवार को प्रकाशित एक लेख में, ताइवान की राष्ट्रपति साई ने कहा कि, ‘उन्हें (चीन) याद रखना चाहिए कि अगर ताइवान का पतन होता है, तो इसका परिणाम क्षेत्रीय शांति और लोकतांत्रिक गठबंधन प्रणाली के लिए विनाशकारी होंगे।’ उन्होंने कहा कि, ‘यह संकेत देगा कि लोकतांत्रिक मूल्यों की आज की वैश्विक प्रतियोगिता में सत्तावाद के सामने मूल्य नहीं है।’

- Advertisement -
Jamil Khan
Jamil Khan
Jamil Khan is a journalist,Sub editor at Reportlook.com, he's also one of the founder member Daily Digital newspaper reportlook
Latest news
- Advertisement -
Related news
- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here