दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश (Anshu Prakash) के साथ मारपीट करने के आरोप में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal), उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) और नौ दूसरे विधायकों को बरी कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने इस मामले में AAP के दो विधायकों अमानतुल्लाह खान और प्रकाश जरवाल के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है।
उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने आरोपों से बरी होने के तुरंत बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए दावा किया कि ये दिल्ली पुलिस की अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एक “साजिश” का खुलासा हुआ है।
सिसोदिया ने मीडिया से कहा, “अदालत ने कहा है कि सभी आरोप निराधार और झूठे थे। हम पहले दिन से कह रहे थे कि ये आरोप झूठे हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ साजिश थी…”
डिप्टी सीएम ने आगे कहा, “दिल्ली पुलिस ने पीएम मोदी और बीजेपी के इशारे पर ये साजिश रची। एक झूठा मामला बनाया गया था, लेकिन आज अदालत ने आरोप तय करने से इनकार कर दिया। आज सत्यमेव जयते का दिन है… आज न्यायपालिका पर विश्वास और भी बढ़ गया है।”
सिसोदिया ने तब मांग की कि BJP और प्रधान मंत्री मोदी अरविंद केजरीवाल से माफी मांगें। साथ ही उन्होंने केजरीवाल को “पूरे देश में सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री” भी बताया।
क्या था मामला?
ये मामला 19 फरवरी, 2018 को केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर एक बैठक के दौरान 1986 बैच के IAS अधिकारी अंशु प्रकाश पर कथित हमले से संबंधित है।
दिल्ली पुलिस की तरफ से दायर एक चार्ज शीट में दावा किया गया कि हमला जानबूझकर किया गया था और आरोपियों में केजरीवाल और सिसोदिया का नाम लिया गया था। जांचकर्ताओं ने आप नेताओं पर मामले को कवर अप करने का भी आरोप लगाया, जिसमें घटना रिकॉर्ड न हो सके इसलिए CCTV को डिस्कनेक्ट करने का आरोप भी था।
आप पार्टी इन आरोपों को खारिज करती आई है। पार्टी के एक प्रवक्ता ने इसे “फर्जी मामले में मुख्यमंत्री की जांच का पहला उदाहरण” बताया और IAS अधिकारी प्रकाश पर मामला दर्ज करने के लिए “दबाव” देने के लिए BJP की खिंचाई की।