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Thursday, March 28, 2024

सीबीआई को मिली आप विधायक अमानतुल्लाह खान के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति

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दिल्ली वक्फ बोर्ड में नियुक्तियों में हुई कथित धांधली और सरकारी खजाने में हुए नुकसान का मामला फिर से चर्चा में आ गया है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष व आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान और बोर्ड के तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी महबूब आलम के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है।

राजनिवास कार्यालय सूत्रों का कहना है कि इन दोनों पर नियमों, विनियमों और कानून को जानबूझकर और आपराधिक उल्लंघन, पद का दुरुपयोग और सरकारी खजाने को वित्तीय नुकसान पहुंचाने का आरोप है। उपराज्यपाल ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 19 और दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 197 के तहत स्वीकृति प्रदान की है।

यह मामला 2016 में प्रकाश में आया था। दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग के एसडीएम (मुख्यालय) ने नवंबर 2016 में एक शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें वक्फ बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान के खिलाफ शिकायत दर्ज हुई थी। वक्फ बोर्ड में स्वीकृत और गैरस्वीकृत पदों पर मनमाने तरीके से नियुक्तियां की गई थी। इस मामले में सीबीआई ने विस्तृत से जांच की, जिसमें आपराधिक कृत्य के पर्याप्त सबूत मिले हैं।

 

सीबीआई ने मई में उपराज्यपाल (ऐसे मामलों में सक्षम प्राधिकारी) से अभियोजन की मंजूरी मांगी थी। सूत्रों का यह भी कहना है कि सीबीआई की जांच में अमानतुल्लाह खान ने महबूब आलम के साथ मिलकर अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और जानबूझकर नियमों की अनदेखी की और हजारों योग्य व्यक्तियों की अनदेखी कर भर्ती प्रक्रियाओं में हेरफेर करके मनमाने ढंग से अपने चहेतों की नियुक्ति की जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचा। नियुक्ति की प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होती तो योग्य लोगों को रोजगार मिल सकता था।   

अपने खास और पहचान वाले व्यक्तियों को अवांछनीय और अनधिकृत लाभ प्रदान करने के लिए खान ने समानता और अवसर के अधिकार के मूल सिद्धांत को दरकिनार कर दिया था। सूत्रों के अनुसार सीबीआई की जांच में पाया गया है कि खान और आलम के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13 (1) (डी) और धारा 13 (2) के तहत भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 120-बी के तहत अदालत में मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।  

सीबीआई द्वारा राज निवास को भेजी गई फाइल में अमानतुल्ला खान और महबूब आलम के प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने के पर्याप्त सबूत हैं और उनके खिलाफ अभियोजन स्वीकृति का ठोस आधार है। उपराज्यपाल ने इन्हीं तथ्यों के आधार पर सीबीआई को मुकदमा चलाने को मंजूरी दी है। राजनिवास का पूरा प्रयास है कि दिल्ली सरकार में नियुक्तियां सिफारिश व जान पहचान के आधार पर नहीं बल्कि  सिर्फ और सिर्फ योग्यता के आधार पर ही की जाएं ताकि योग्य लोगों को निष्पक्ष ढंग से सरकारी नौकरियों में आने का अवसर मिल सके।

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Jamil Khan
Jamil Khanhttps://reportlook.com/
journalist | chief of editor and founder at reportlook media network

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