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Saturday, April 20, 2024

पीएम मोदी के साथ बैठक के बाद बोली पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती 370

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जम्मू-कश्मीर में परिसीमन प्रक्रिया और चुनावी मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घाटी के नेताओं संग आज करीब तीन घंटे से अधिक समय तक बैठक की। पीएम नरेंद्र मोदी के साथ सर्वदलीय बैठक में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने और जल्द से जल्द विधानसभा का चुनाव संपन्न कराने की मांग उठी। इस बीच बैठक के बाद एक बार फिर से महबूबा मुफ्ती ने पाकिस्तान का ज़िक्र किया है। पीडीपी प्रमुख महबूब मुफ्ती ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 की बहाली करेंगी। साथ ही उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की शांति के लिए भारत को पाकिस्तान के साथ बातचीत करनी चाहिए

पीएम मोदी की बैठक से निकलने के बाद महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग 5 अगस्त 2019 के बाद बहुत मुश्किलों में हैं। वे गुस्से में हैं, परेशान हैं और भावनात्मक रूप से टूट चुके हैं। वे अपमानित महसूस करते हैं। मैंने पीएम से कहा कि जिस तरह से आर्टिकल 370 को असंवैधानिक, अवैध और अनैतिक रूप से निरस्त किया गया, उसे जम्मू-कश्मीर के लोग स्वीकार नहीं करते। 

उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग संवैधानिक, लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण तरीके से संघर्ष करेंगे। महीने हो या साल, हम जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को बहाल करेंगे क्योंकि यह हमारी पहचान का मामला है। यह हमें पाकिस्तान से नहीं मिला, बल्कि हमारे देश ने हमें दिया, जेएल नेहरू और सरदार पटेल ने दिया। 

महबूबा ने आगे कहा कि मैंने उन्हें बधाई दी कि उन्होंने पाकिस्तान से बात की और इससे युद्धविराम हुआ और घुसपैठ कम हुई। जम्मू-कश्मीर की शांति के लिए अगर उन्हें पाकिस्तान से दोबारा बात करनी है, तो उन्हें करनी चाहिए। उन्हें पाकिस्तान के साथ व्यापार को लेकर भी बातचीत करनी चाहिए, क्यंकि दोनों देशों के बीच व्यापार रुक गया है, यह कई लोगों के लिए रोजगार का स्रोत है। 

बता दें कि इससे पहले, पिछले लगभग दो सालों में पहली बार जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक नेतृत्व के साथ वार्ता का हाथ बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इस केंद्रशासित प्रदेश के भविष्य की रणनीति का खाका तैयार करने के लिए बृहस्पतिवार को वहां के 14 नेताओं के साथ एक अहम बैठक की। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान हटाए जाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद यह पहली ऐसी बैठक है जिसकी अध्यक्षता खुद प्रधानमंत्री मोदी ने की।

राजधानी के 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर लगभग साढ़े तीन घंटे चली इस बैठक में पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर के चार पूर्व मुख्यमंत्री और चार पूर्व उपमुख्यमंत्री शामिल हुए। इन नेताओं में नेशनल कॉन्फ्रेंस के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला, उनके पुत्र व पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर प्रमुख हैं। इनके अलावा बैठक में पीपुल्स कांफ्रेंस के नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग, पैंथर्स पार्टी के भीम सिंह, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के मोहम्मद यूसुफ तारिगामी, जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के अल्ताफ बुखारी और पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद लोन मौजूद थे। भाजपा की ओर से बैठक में शामिल होने के लिए जम्मू एवं कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रवींद्र रैना, पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंद्र गुप्ता और निर्मल सिंह भी प्रधानमंत्री आवास पहुंचे।

बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह, प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पी के मिश्रा, गृह सचिव अजय भल्ला और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल मौजूद थे। यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब एक दिन पहले ही परिसीमन आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जम्मू-कश्मीर के सभी उपायुक्तों के साथ मौजूदा विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्गठन और सात नयी सीटें बनाने पर विचार-विमर्श किया था। अधिकारियों ने बताया कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में इस दिसम्बर से अगले साल मार्च के बीच चुनाव कराने को तत्पर है। कोशिश है कि इससे पहले परिसीमन के काम को पूरा कर लिया जाए। परिसीमन की कवायद के बाद जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी।

ज्ञात हो कि पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निरस्त कर राज्य को जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख के रूप में दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था। इसके बाद फारूख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित कई नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक संसद में पारित किए जाने के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने आश्वासन दिया था कि केंद्र उपयुक्त समय पर जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे को बहाल करेगा।

सात महीने पहले ही इस केंद्रशासित प्रदेश में जिला विकास परिषद के चुनाव संपन्न हुए थे। इस चुनाव में गुपकर गठबंधन को 280 में से 110 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। गठबंधन के दलों में नेशनल कांफ्रेस को सबसे अधिक 67 सीटों पर विजय हासिल हुई थी जबकि 75 सीटों के साथ भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी।

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Jamil Khan
Jamil Khan
जमील ख़ान एक स्वतंत्र पत्रकार है जो ज़्यादातर मुस्लिम मुद्दों पर अपने लेख प्रकाशित करते है. मुख्य धारा की मीडिया में चलाये जा रहे मुस्लिम विरोधी मानसिकता को जवाब देने के लिए उन्होंने 2017 में रिपोर्टलूक न्यूज़ कंपनी की स्थापना कि थी। नीचे दिये गये सोशल मीडिया आइकॉन पर क्लिक कर आप उन्हें फॉलो कर सकते है और संपर्क साध सकते है

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