पॉपुलर संगीतकार ए आर रहमान ने हिंदुस्तानी संगीत को देश दुनिया तक पहुंचाया है। अपने रूहानी संगीत से दुनिया के लोगों का दिल जीतने वाले ऑस्कर विजेता संगीतकार रहमान आज अपना बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं। रहमान का जन्म 6 जनवरी, 1966 को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम आरके शेखर है, जो मलयालम फिल्मों में म्यूजिक अरेंजर का काम करते थे। ए आर रहमान के जन्मदिन के मौके पर जानते हैं उनसे जुड़े कुछ रोचक तथ्य।
आते थे सुसाइड के विचार
एआर रहमान का असली नाम दिलीप शेखर है। रहमान को कई वर्षों तक सुसाइड के ख्याल आते थे। रहमान ने ‘नोट्स ऑफ ए ड्रीम: द ऑथराइज्ड बॉयोग्राफी ऑफ ए आर रहमान’ में अपने मुश्किल दिनों के बारे में जिक्र किया है। इस किताब को कृष्ण त्रिलोक ने लिखा है। इसमें रहमान ने लिखा,’25 साल तक मैं खुदकुशी करने के बारे में सोचता था। हम में से ज्यादातर महसूस करते हैं कि यह अच्छा नहीं है क्योंकि मेरे पिता की मौत हो गई थी तो एक तरह का खालीपन था, कई सारी चीजें हो रही थीं। मैं बहुत अधिक फिल्में नहीं कर रहा था। मुझे 35 मिलीं और मैंने सिर्फ 2 कीं।’ साथ ही उन्होंने किताब में लिखा,’इन सब चीजों ने मुझे और अधिक निडर बना दिया। मौत निश्चित है। जो भी चीज बनी है उसके इस्तेमाल की अंतिम तिथि निर्धारित है तो किसी चीज से क्या डरना।’
4 साल की उम्र में ही जाने लगे सेट पर
रहमान के पिता मलयालम फिल्मों में म्यूजिक अरेंजर का काम करते थे तो वह भी पिता के साथ चार साल की उम्र से ही सेट पर जाने लगे और कामकाज सीखने लगे। रहमान म्यूजिक इक्विपमेंट भी बजाना सीखने लगे। चार साल में वह हारमोनियम बजाना सीखने लगे थे। हालांकि बहुत कम उम्र में ही पिता का साया रहमान के सिर से उठ गया। इसके बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी रहमान के कंधों पर आ गई।
फकीर ने बदली जिंदगी
एक बार ए आर रहमान की बहन बहुत ज्यादा बीमार हो गई थीं। दवा भी कोई असर नहीं कर रही थी। ऐसे में एक दिन रहमान की मां से एक फकीर की मुलाकात हुई। फकीर ने ऐसा चमत्कार किया कि उनकी बहन ठीक हो गईं। इस घटना का रहमान के दिलोदिमाग पर काफी असर हुआ और वह उस फकीर को काफी मानने लगे। वह दरगाह पर जाने लगे और वहां संगीत बनाने लगे। कहते हैं कि उन्हीं संत ने भविष्यवाणी कर दी थी कि 10 साल बाद वो कहां होंगे।
दिलीप शेखर से बने अल्लाह रखा
उस फकीर से मिलने के बाद दिलीप शेखर ने इस्लाम कबूल कर लिया और वह अल्लाह रक्खा रहमान यानि ए आर रहमान बन गए। एआर रहमान ने 23 साल की उम्र में 1989 में इस्लाम कबूल किया था। इसके बाद वर्ष 1991 में उन्होंने खुद का म्यूजिक रिकॉर्ड करना शुरु कर दिया था। उन्हें मणिरत्नम ने अपनी फिल्म ‘रोजा’ में संगीत देने के लिए बुलाया। फिल्म म्यूजिकल हिट रही और पहली फिल्म के लिए ही रहमान को फिल्मफेयर का अवॉर्ड मिला।

4 साल की उम्र में ही जाने लगे सेट पर
रहमान के पिता मलयालम फिल्मों में म्यूजिक अरेंजर का काम करते थे तो वह भी पिता के साथ चार साल की उम्र से ही सेट पर जाने लगे और कामकाज सीखने लगे। रहमान म्यूजिक इक्विपमेंट भी बजाना सीखने लगे। चार साल में वह हारमोनियम बजाना सीखने लगे थे। हालांकि बहुत कम उम्र में ही पिता का साया रहमान के सिर से उठ गया। इसके बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी रहमान के कंधों पर आ गई।
फकीर ने बदली जिंदगी
एक बार ए आर रहमान की बहन बहुत ज्यादा बीमार हो गई थीं। दवा भी कोई असर नहीं कर रही थी। ऐसे में एक दिन रहमान की मां से एक फकीर की मुलाकात हुई। फकीर ने ऐसा चमत्कार किया कि उनकी बहन ठीक हो गईं। इस घटना का रहमान के दिलोदिमाग पर काफी असर हुआ और वह उस फकीर को काफी मानने लगे। वह दरगाह पर जाने लगे और वहां संगीत बनाने लगे। कहते हैं कि उन्हीं संत ने भविष्यवाणी कर दी थी कि 10 साल बाद वो कहां होंगे।

दिलीप शेखर से बने अल्लाह रखा
उस फकीर से मिलने के बाद दिलीप शेखर ने इस्लाम कबूल कर लिया और वह अल्लाह रक्खा रहमान यानि ए आर रहमान बन गए। एआर रहमान ने 23 साल की उम्र में 1989 में इस्लाम कबूल किया था। इसके बाद वर्ष 1991 में उन्होंने खुद का म्यूजिक रिकॉर्ड करना शुरु कर दिया था। उन्हें मणिरत्नम ने अपनी फिल्म ‘रोजा’ में संगीत देने के लिए बुलाया। फिल्म म्यूजिकल हिट रही और पहली फिल्म के लिए ही रहमान को फिल्मफेयर का अवॉर्ड मिला।
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