नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में आंदोलन के दौरान हिंसा के आरोपों में जेल में बंद असम के विधायक अखिल गोगोई गुरुवार को जेल से रिहा हो गए। वह बीते डेढ़ सालों से सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान हिंसा के चलते जेल में थे। गुरुवार को ही सीएए विरोधी आंदोलन से जुड़े एक केस में एनआईए कोर्ट की ओर से रायजोर दल के मुखिया अखिल गोगोई को बरी किया गया था। उसके कुछ घंटे के बाद ही तमाम औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद अखिल गोगोई को रिहा कर दिया गया। बीते सप्ताह ही उन्हें आंदोलन से ही जुड़े एक अन्य केस में बरी कर दिया गया था।
जेल से रिहाई के बाद मीडिया से बात करते हुए अखिल गोगोई ने कहा, ‘मैं सबसे सैम स्टैफर्ड के पेरेंट्स से मिलने जाऊंगा, जो सीएए विरोधी आंदोलन का असम में पहला शहीद था। इसके बाद मैं कृषक मुक्ति संग्राम समिति के ऑफिस जाऊंगा और फिर अपनी पार्टी रायजोर दल के ऑफिस पहुंचना है।
इसके बाद कल सुबह मैं अपने विधानसभा क्षेत्र का दौरा करूंगा।’ अदालत के फैसले को लेकर गोगोई ने कहा कि इस बात की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि सरकार की ओर से इतने दबाव के बाद भी अदालत इस तरह का फ्री एंड फेयर फैसला देगी। इससे पता चलता है कि न्यायपालिका आज भी स्वतंत्र है और लोग उस पर भरोसा कर सकते हैं।
अखिल गोगोई को दिसंबर 2019 में अरेस्ट किया गया था। प्रशासन का कहना था कि उनके उकसाने के चलते ही आंदोलन में हिंसा भड़क गई थी, जिसे नियंत्रित करने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी थी और इसमें 5 लोगों की मौत हो गई थी।
गोगोई के वकील शांतनु बोरठाकुर ने कहा, ‘गुवाहाटी के चांदमारी इलाके में प्रदर्शन को लेकर उनके खिलाफ दर्ज हुए केस में अदालत ने उन्हें बरी कर दिया है। इससे पहले डिब्रूगढ़ जिले के छाबुआ में दर्ज हुए केस में उन्हें एनआईए कोर्ट ने बरी किया था।’ इस तरह से सीएए विरोधी आंदोलनों को लेकर दर्ज हुए दोनों केसों से वह बरी हो गए हैं।
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