काबुल. अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी ने देश में तालिबान के कब्जे के बाद पहला आधिकारिक बयान जारी किया है. गनी ने अपने बयान में कहा है कि काबुल छोड़ना उनके जीवन का सबसे मुश्किल फैसला था. गनी ने कहा कि उन्हें लगता है कि काबुल और उसके लोगों को बचाने और बंदूकों को शांत रखने के लिए सिर्फ यही एक विकल्प था. गनी ने पैसे लेकर भागने के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि ये सब बेबुनियादी बातें हैं कि वह अफगानिस्तानी लोगों के लाखों-करोड़ रुपये लेकर भागे हैं.
अशरफ गनी ने सफाई के लहजे में जारी किए गए अपने इस बयान में कहा कि 15 अगस्त को तालिबान के काबुल में घुसने के बाद मेरे देश छोड़ने के बाद लोगों को इसके बारे में स्पष्टीकरण देना मेरा फर्ज है. गनी ने लिखा कि पैलेस की सुरक्षा कर रहे लोगों की सलाह पर मुझे जाना पड़ा वरना 1990 के गृह युद्ध जैसा मंजर सामने आ सकता था. गनी ने कहा
काबुल छोड़ना मेरे जीवन का सबसे मुश्किल फैसला था लेकिन मुझे लगता है कि गोलियों को शांत करने और काबुल के 60 लाख लोगों को बचाने के लिए यही एक रास्ता था. मैंने अफगानियों की मदद, लोकतंत्र की स्थापना, शांत और संप्रभु राज्य बनाने के लिए अपने जीवन के 20 साल दिए हैं. मेरा न तो ये मकसद था और न ही मंशा थी कि काबुल के लोगों का जीवन तबाह हो.
गनी ने कहा कि “फिलहाल ये मेरे जाने के पीछे का कारणों पर चर्चा का समय नहीं है. मैं इस पर भविष्य में कभी बात करूंगा. हालांकि उन्होंने अपने इस पत्र में अपने ऊपर लगे आरोपों से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि मेरे जाने के बाद ऐसी बेबुनियादी बातें कही गईं कि मैं अफगानिस्तान के लोगों के लाखों-करोड़ रुपये लेकर भागा हूं. ये आरोप पूरी तरह से गलत हैं.”