इलाहाबाद. इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (Sunni Central Waqf Board) का कार्यकाल बढ़ाने के उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) के फैसले को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने प्रमुख सचिव को प्रशासक नियुक्त करके 28 फरवरी तक बोर्ड का चुनाव (Election) करवाकर चार्ज सौंपने का आदेश दिया है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि 30 सितंबर का आदेश रद्द होने से इस बीच लिए गए फैसलों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति एसएस शमशेरी की खंडपीठ ने नसीमुद्दीन और अन्य की याचिकाकर्ताओं की याचिका पर दिया है. याचिकाकर्ता का कहना था कि उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का चुनाव पांच साल का कार्यकाल समाप्त होने के पहले कराया जाना चाहिए.
क्योंकि एक अप्रैल, 2020 को कार्यकाल यह समाप्त हो चुका है. लेकिन, कोविड-19 के प्रकोप के कारण छह माह के लिए कार्यकाल बढ़ा दिया गया था. इसके बाद भी चुनाव न कराकर कार्यकाल बढ़ाया जा रहा है. ऐसा करने का राज्य सरकार को अधिकार नहीं है.
याचिकाकर्ता का कहना है कि उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में छह सौ से कम वोटर हैं. ऐसे में शारीरिक दूरी मानक का पालन करते हुए चुनाव कराया जा सकता है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या कहा?
वहीं हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को बोर्ड का कार्यकाल बढ़ाने का अधिकार नहीं है. ऐसी आपात आवश्यकता नहीं थी, जिससे कार्यकाल बढ़ाना अपरिहार्य था. वहीं, सरकार का कहना था कि कोरोना संक्रमण के चलते डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत कार्यकाल बढ़ाने का आदेश दिया गया है. कोर्ट ने जिसे रद्द कर दिया और चुनाव कराने का निर्देश दिया है.
उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का कार्यकाल 30 सितंबर, 2020 को दूसरी बार खत्म हो गया था, जिसे जुफर फारूकी के नेतृत्व में छह महीने का विस्तार दे दिया गया था. यूपी सरकार ने एक अक्टूबर से छह महीने के लिए कार्यकाल बढ़ा दिया था. कोरोना संक्रमण के कारण सुन्नी वक्फ बोर्ड का चुनाव नहीं कराए जा सके थे. जुफर फारूकी के नेतृत्व में बोर्ड का पहला कार्यकाल 31 मार्च, 2020 को ही समाप्त हो चुका था. इसके बाद सरकार ने बोर्ड को छह महीने का विस्तार दिया गया. 30 सितंबर के बाद दूसरी बार बोर्ड के सदस्यों का कार्यकाल छह महीने के लिए बढ़ाया गया था. जिसके बाद याचिकाकर्ता हाईकोर्ट चले गये थे.