देश में पिछले कुछ सालों में कई शहर और रेलवे स्टेशन के नाम बदल गए हैं और अब अलीगढ़ के नाम पर चर्चा हो रही है. हाल ही में अलीगढ़ का नाम बदलकर हरिगढ़ किए जाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है. अलीगढ़ जिला पंचायत की बैठक में नाम बदले जाने को मंजूरी दे दी गई है. अब सरकार को ये प्रस्ताव भेजा गया है और देखना है कि सरकार इस पर क्या फैसला लेती है. अब ये तो बाद में पता चलेगा कि अलीगढ़ का नाम बदलेगा या नहीं.. लेकिन क्या आप जानते हैं पहले अलीगढ़ का क्या नाम था.
ऐसा नहीं है कि अलीगढ़ का नाम शुरू से ये ही था. इसमें पहले भी बदलाव हो चुका है. ऐसे में आज जानते हैं इतिहास के पन्नों में अलीगढ़ की क्या कहानी है और इसके नाम बदलने से पहले जान लीजिए कि आखिर इस शहर ने क्या क्या बदलाव देखे हैं…
क्या है अलीगढ़ का इतिहास?
अलीगढ़ की सरकारी वेबसाइट पर दी गई इतिहास की जानकारी के अनुसार, 18 वीं शताब्दी से पहले अलीगढ़ को कोल या कोइल के नाम से जाना जाता था. कोल नाम न केवल शहर बल्कि पूरे जिले को कवर करता है, हालांकि इसकी भौगोलिक सीमा समय-समय पर बदलती रहती है. वैसे ये कोल नाम कैसे पड़ा, इस पर अलग अलग कहानियां है. कुछ प्राचीन ग्रंथों में, कोल को एक जनजाति या जाति, किसी स्थान या पर्वत का नाम और ऋषि या राक्षस का नाम माना जाता है.
वेबसाइट पर दी गई जानकारी में एडविन टी. एटकिंसन के हवाले से कहा गया है कि कोल का नाम बालाराम द्वारा शहर में दिया गया था, जिन्होंने महान असुर (राक्षस) कोले को मार डाला और अहिरों की सहायता से डोआब के इस हिस्से को घटा दिया. एटकिंसन ने “किंवदंती” को बताया कि कोल की स्थापना 372 ईस्वी में दोर जनजाति के राजपूतों की ओर से की गई थी. साथ ही कोइल यानी आज के अलीगढ़ की कई कहानियां इतिहास में दर्ज है.
काफी अहम रहा है अलीगढ़
अकबर के शासनकाल में भी कोइल को काफी माना गया था और इसमें मराहर, कोल बा हवेली, थाना फरीदा और अकबरबाद के दस्ते शामिल थे. जहांगीर स्पष्ट रूप से कोल के जंगल का उल्लेख करते हैं, जहां उन्होंने भेड़ियों को मार डाला. वहीं, इब्राहिम लोधी के समय, उमर के पुत्र मुहम्मद कोल के गवर्नर थे, ने कोल में एक किला बनाया और 1524-25 में मुहम्मदगढ़ के नाम पर शहर का नाम रखा और फारुख सियार और मुहम्मद शाह के समय इस क्षेत्र के गवर्नर सबित खान ने पुराने लोदी किले का पुनर्निर्माण किया और अपने नाम सब्तगढ़ के नाम पर शहर का नाम दिया.
रामगढ़ भी था नाम
कहा जाता है कि कोइल के शासक बर्गुजर राजा राव बहादुर सिंह थे, जिनके पूर्वजों ने कोइल अजीत सिंह की बेटी राजा प्रताप सिंह बरगजर के राजा के विवाह के बाद एडी 1184 से शासन किया था. जयपुर के जय सिंह से संरक्षण के साथ 1753 में जाट शासक सूरजमल और मुस्लिम सेना ने कोइल के किले पर कब्जा कर लिया, बार्गुजर राजा बहादुर सिंह ने उनके तहत एक और किले से लड़ाई जारी रखी और जो “घोसर की लड़ाई” के नाम से जानी जाती है. फिर इसे रामगढ़ का नाम दिया गया.
फिर नाम पड़ा अलीगढ़
आखिरकार, जब शिया कमांडर नजाफ खान ने कोल पर कब्जा कर लिया, तो उन्होंने इसे अलीगढ़ का वर्तमान नाम दिया. अलीगढ़ किला (अलीगढ़ किला भी कहा जाता है) जैसा कि आज है, फ्रांसीसी इंजीनियरों द्वारा फ्रांसीसी अधिकारियों बेनोइट डी बोइग्ने और पेरॉन के नियंत्रण में बनाया गया था.