एआईएमआईएम विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी (Akbaruddin Owaisi AIMIM) गुरुवार को महाराष्ट्र के औरंगाबाद के दौरे पर थे. उन्होंने अपनी पार्टी के ही इम्तियाज जलील और वारिस पठान जैसे अन्य नेताओं के साथ मिलकर बादशाह आलमगीर औरंगजेब रहमतुल्लाह अलैहि के मकबरे का दौरा किया.
आलमगीर औरंगजेब का मकबरा औरंगाबाद के खुल्ताबाद में मौजूद है. ओवैसी ने वहां जाकर मुगल शासक की कब्र पर फूल चढ़ाए. इस पर ना सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि देश भर से विरोध में प्रतिक्रियाएं आईं. कहा गया कि एक आक्रामक राजा के लिए यह सम्मान दर्शाना ना सिर्फ महाराष्ट्र की जनता बल्कि देश की जनता को चिढ़ाने जैसा काम है.अब इस पर बॉलीवुड अभिनेत्रीरवीना टंडन (Raveena Tondon) ने सोशल मीडिया में एक पोस्ट कर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
रवीना टंडन ने अपने ट्विटर अकाउंट से यह पोस्ट शेयर किया है. इस ट्वीट में रवीना टंडने ने कहा है, ‘कुछ दिनों से मेरे देश पर इनटॉलरेंट होने का एक लेबल लगाने का फैशन चल पड़ा है. यह इस बात को साबित करता है कि हम कितने सहिष्णु हैं. हममें कितना बर्दाश्त करने की ताकत है, इसकी यह यह एक मिसाल है. ऐसे में असहिष्णुता कहां है? ‘
रवीना टंडन ने करके ट्वीट,’इनटॉलरेंट’ की रट लगाने वालों को मारी किक
‘भारत है आजाद, कोई चाहे ये करे, कोई चाहे वो करे, उनकी मर्जी’
इस ट्वीट से पहले रवीना टंडन ने लेखक आनंद रंगनाथन का एक ट्वीट शेयर किया. इस ट्वीट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए रवीना टंडन ने लिखा, ‘ हम सहनशील हैं, थे, और रहेंगे. भारत एक आजाद देश है. यहां कोई भी किसी की भी पूजा कर सकता है. यहां सबको समान अधिकार है.’
लेखक आनंद रंगनाथन ने अपने ट्वीट में देकर मिसाल, उठाया है सवाल
लेखक आनंद रंगनाथन ने औरंगजेब के मकबरे पर सर झुकाने गए एआईएमआईएम विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी का फोटो शेयर किया था. यह फोटो शेयर करते हुए उन्होंने ओवैसी की इस हरकत पर कुछ सवाल उठाए थे. उन्होंने लिखा था, ‘ गुरु तेग बहादुर का सर काटने वाले, संभाजी महाराज का सर काटने वाले, काशी को ध्वस्त करने वाले और 49 लाख से ज्यादा हिंदुओं का कत्लेआम करने वाले के सम्मान में सर झुकाना एक साइकोपैथिक ऐक्ट है और उकसाने वाला काम है. किसी की कब्र पर जाकर प्रार्थना करने की कुरान में भी मनाही है.’
‘औरंगजेब की कब्र में जाकर जताना सम्मान, कुछ और नहीं, है उकसाने वाला काम’
रवीना टंडन ने लेखक आनंद रंगनाथन के ट्वीट पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. अभिनेत्री ने कहा है कि देश में सबको आजादी है कि वो किसकी उपासना करे, किसकी ना करे. अगर यह हक सबको मिला है तो किसी को ऐसा करने से रोका नहीं जा सकता है. क्योंकि हम सहिष्णु लोग हैं.