बेंगलुरु. साल 2005 में बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc Terror Attack) पर हुए आतंकी हमले में कथित संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार किए गए हबीब मियां को चार साल बाद पिछले सप्ताह रिहा कर दिया गया. एनआईए स्पेशल कोर्ट (NIA Special Court) ने कहा कि पेशे से ड्राइवर 40 वर्षीय हबीब मियां के खिलाफ पुलिस को कोई सबूत नहीं मिला है. 28 दिसंबर 2005 को आईआईसी पर हुए हमले में दिल्ली के विजिटिंग प्रोफेसर एमसी पुरी की मौत हो गई थी. मार्च 2017 में हबीब मियां को हमले के मुख्य आरोपी सबाउद्दीन अहमद की कथित तौर पर मदद के लिए गिरफ्तार किया गया था. उन पर आरोप था कि उन्होंने हमले से पहले और बाद में सबाउद्दीन (Sabauddin Ahmed) को बांग्लादेश से आने और जाने में मदद की. अहमद को सुरक्षा एजेंसियों ने 2008 की शुरुआत में नेपाल से दबोचा था.
एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने मामले में आरोप तय किए जाने से पहले हबीब मियां की ओर से दायर की गई आरोप मुक्त करने की याचिका को स्वीकार करते हुए 14 जून के अपने आदेश में सबाउद्दीन अहमद के बयान का जिक्र किया, जिसमें अहमद ने कहा था कि हबीब मियां ने उसे सीमा पार करने में मदद की. कोर्ट ने कहा, ‘आरोपी नंबर 1 (सबाउद्दीन अहमद) के पूरे बयान पर गौर फरमाते हुए यह पाया गया है कि सिर्फ एक बयान के अलावा इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि आरोपी नंबर 7 (हबीब मियां) को इस बात की जानकारी थी कि आरोपी नंबर 1 आंतकी है और उसे आतंकियों से पैसा मिलता है या वह बेंगलुरु में आतंकी हमले को अंजाम देने वाला है.’
कोर्ट ने कहा, ‘आरोपी नंबर 1 के बयान से पता चलता है कि आरोपी नंबर 1 ने आरोपी नंबर 7 को अपना असली नाम भी नहीं बताया और ना ही यह बताया कि वह बांग्लादेश क्यों जा रहा है.’ कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने इस बात का कोई सबूत नहीं पेश किया है कि हबीब मियां से नकली पहचान पत्र का उपयोग कर संपर्क करने वाले सबाउद्दीन अहमद के लश्कर ए तैयबा का आतंकी होने की जानकारी थी और अहमद को आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए हथियार और गोला बारूद मिलते थे.
एनआईए कोर्ट के स्पेशल जज कसनाप्पा नायक ने कहा, ‘मैंने पाया है कि आरोपी नंबर 1 के आरोपों में ऐसा कुछ नहीं है, जिसके आधार पर आरोपी नंबर 7 के खिलाफ मुकदमा चलाया जाए. यह पाया गया है कि आरोपी नंबर 7 को गिरफ्तार किया गया है और उसका बयान भी दर्ज हुआ है. हालांकि अपराध में आरोपी नंबर 7 की संलिप्तता साबित करने का कोई सबूत उपलब्ध नहीं है.”
कोर्ट ने कहा कि आईआईसी पर हमले के बाद अगरतला में सबाउद्दीन अहमद को सीमा पार करने में मदद करने वाले अन्य दो लोगों को पकड़ने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया. कोर्ट ने कहा, “यह साबित करने के लिए कोई स्वतंत्र प्रमाण नहीं है कि आरोपी नंबर 7 ने आरोपी नंबर 1 को कोई आपराधिक और गैरकानूनी काम करने में मदद की. यदि आरोपी नंबर 7 ने अवैध रूप से बांग्लादेश जाने के लिए सीमा पार करने में आरोपी नंबर 1 की सहायता की थी तो त्रिपुरा पुलिस इस मामले में कार्रवाई कर सकती है और इस मामले में उस पर कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है.