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Tuesday, September 26, 2023
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आजादी के 30 साल बाद आखिर क्यों जल रहा कजाकिस्तान?

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एस्टाना. करीब 2 करोड़ आबादी वाला उर्जा समृद्ध राष्ट्र कजाकिस्तान (Kazakhstan Unrest) पिछले कई दिनों से आशांति से जूझ रहा है. इसके चलते अब तक 160 लोगों की जान जा चुकी है. मध्य एशिया के विशाल क्षेत्रफल वाले देश में करीब 6000 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पिछले एक हफ्ते से चल रही उथल-पुथल के चलते कई विदेशियों को भी अशांति फैलाने के लिए गिरफ्तार किया गया है.

सरकार संचालित सूचना पोर्टल पर मिली जानकारी के मुताबिक दंगों में करीब 164 लोगों की जान जाने की आशंका है, जिसमें देश की सबसे बड़े शहर अल्माटी में मारे जाने वाले 103 लोग भी शामिल हैं. जिससे साफ जाहिर होता है कि विरोधियों और रक्षा दलों के बीच काफी गहन झड़पें हुई हैं.

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नए आंकड़े जिनकी किसी भी आधिकारिक स्रोत ने पुष्टि नहीं की है उसके मुताबिक मरने वालो की संख्या में भारी वृद्धि होगी. इससे पहले आधिकारिक स्रोतों ने कहा था कि 26 सशस्त्र अपराधी मारे गए थे, वहीं इन दंगों के चलते 16 रक्षा अधिकारियों को भी अपनी जान गंवानी पड़ी थी. लेकिन रविवार तक सरकार का यह बयान गायब हो चुका था.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने रूसी और कजाक मीडिया को बताया कि गलत जानकारी प्रकाशित कर दी गई थी, लेकिन उसके बाद आधिकारिक तौर पर पिछली जानकारी को लेकर कोई खंडन नहीं किया गया और ना ही नए आंकड़े प्रदान किए गए. इसके बाद राष्ट्रपति कसीम जोमार्ट टोकायव के नेतृत्व में एक आपात बैठक बुलाई गई, जिसके बाद राष्ट्रपति की ओर से एक बयान जारी किया गया. इसमें कहा गया कि विदेशी नागरिकों सहित करीब 5800 लोगों को पूछताछ के लिए गिरफ्तार किया गया है. राष्ट्रपति ने अपने बयान में कहा कि देश में स्थिति अब स्थिर है.

तेल की कीमत पर सवाल और गोली का जवाब
तेल के दामों में बढ़ोतरी के चलते देश में एक हफ्ते पहले आग भड़की जो पूरे देश में फैल गई थी, इसमें कजाकिस्तान का आर्थिक केंद्र अल्माटी भी शामिल था. जहां दंगों को काबू में करने के लिए पुलिस ने गोलियों का उपयोग किया था. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक करीब 100 व्यापारों और बैंक पर हमले हुए और उन्हें लूटा गया, साथ ही आगजनी की घटनाओं में 400 से ज्यादा वाहन क्षतिग्रस्त हुए. एनडीटीवी में प्रकाशित खबर के मुताबिक मंत्रालय ने स्थानीय मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि दंगो में करीब 199 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है.

वहीं, रिपोर्ट के मुताबिक अल्माटी में शांति स्थापित होती सी लग रही है, बीच बीच में पुलिस लोगों को शहर के सेंट्रल स्कॉयर पर आने से रोकने के लिए हवा में गोली चला देती है. वहीं खाने के अभाव के बीच सुपरमार्केट को खोल दिया गया था. यही नहीं कजाकिस्तान में राष्ट्रद्रोह के संदेह में पूर्व सुरक्षा प्रमुख को गिरफ्तार कर लिया गया है. इसी के साथ पूर्व सोवियत राष्ट्र में सत्ता संघर्ष की अटकलों के बीच कजाकिस्तान के पूर्व नेता नूर सुल्तान नजरबायेव के साथी और पूर्व प्रधानमंत्री करीम मेसीमोव के गिरफ्तार किए जाने की भी खबर है. घरेलू गुप्तचर संस्था, नेशनल सिक्युरिटी कमीटी (केएनबी) ने घोषणा की है कि राष्ट्रदोह की आशंका के चलते मेसीमोव को गिरफ्तार किया गया है.

गोली मारने के आदेश की अमेरिका ने की आलोचना
टोकायेव ने अपने बयान में कहाथा कि करीब 20,000 सशस्त्र डकैतों ने अल्माटी पर हमला कर दिया था, उन्हें काबू में लाने के लिए सेना को गोली मारने के आदेश दिये गए थे. वहीं अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकेन ने गोली मारने के आदेश की निंदा करते हुए इसे रद्द करने का आह्वान किया. वहीं रिपोर्टों का मानना है कि ज्यादातर लोगों का गुस्सा सीधे नजरबायेव पर प्रदर्शित हुआ, 81 साल के नजरबायेव सत्ता सौंपने से पहले 1989 से देश पर शासन कर रहे थे. आलोचक उन पर इल्जाम लगाते हैं कि उन्होंनें और उनके परिवार ने आम नागरिकों के खर्च पर बड़ी संपत्ति हासिल की है और पर्दे के पीछे से वही नियंत्रण करते हैं.

विदेशी हस्तक्षेप
हालांकि अराजकता की पूरी तस्वीर अभी तक साफ नहीं हो पाई है लेकिन विदेशों में भी इस घटना पर प्रतिक्रिया जाहिर की है. पोप फ्रांसिस ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए इसे शांति से निपटाने की अपील की है. वहीं टोकायव ने इस अशांति से निपटने के लिए मॉस्को के नेतृत्व वाले संयुक्त सुरक्षा संधि संगठन (सीएसटीओ) के सैन्य दल भेजने पर शुक्रिया व्यक्त किया है. साथ ही टोकायव ने इस सैन्य दल की तैनाती को अस्थायी बताया है. लेकिन ब्लिंकेन ने चेतावनी के सुर में कहा कि इस सैन्य दल के चलते आगे चलकर कजाकिस्तान को मुश्किल हो सकती है. उन्होंनें कहा कि हमें इतिहास से एक सबक सीखना चाहिए कि रूसी अगर आपके घर में आ गए हैं तो उन्हें बाहर निकालना बेहद मुश्किल होता है.

रूस के युक्रेन पर हमले के डर के चलते पश्चिम और रूस में शीत युद्ध के बाद इतना तनाव नहीं गहराया है. रूस ने वार्ता में किसी तरह की रियायत से इंकार कर दिया है.

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Jamil Khan
Jamil Khan
Jamil Khan is a journalist,Sub editor at Reportlook.com, he's also one of the founder member Daily Digital newspaper reportlook
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