नई दिल्ली। अफगानिस्तान में 20 साल बाद तालिबान की वापसी के बाद एक बार फिर से वहां की स्थिति बदलने लगी है। तालिबान के सत्ता में वापसी बाद से अफगानिस्तान में सामाजिक व्यवस्था, कानून हालात, राजनीतिक स्थिति, आर्थिक हालात बदल गए हैं। अब अफ़ग़ानिस्तान 20 साल से चल रहा लोकतांत्रिक देश नहीं बल्कि एक इस्लामिक देश बन चुका है जहां पर कुरआन और हदिसो के कानून लागू होंगे ना की मनुष्य द्वारा बनाए गए संविधान.
तालिबान की सत्ता के बाद बढ़ी इन दो चीजों की डिमांड
तालिबान कि सत्ता वापसी के बाद अफगानिस्तान की तस्वीर बदल चुकी है। तालिबान ने अफगानिस्तान पर वापस अपना कब्जा कायम करते ही फरमान जारी किया कि महिलाओं को हिजाब पहनना होगा। वो हिजाब के पर्दे में रहकर पढ़ाई, नौकरी जैसे काम कर सकती हैं, लेकिन उन्हें पर्दे में ही रहना होगा। तालिबान इस्लामिक कानूनों को कड़ाई से लागू करने और उन्हें मनवाने के लिए ही जाना जाता है। वहीं न्यूज महिला रिपोर्ट्स, प्रजेंटर को भी हिजाब पहनकर अपना काम करने के लिए कहा जा रहा है।
बाजार में बड़ी डिमांड
तालिबान के राज के बाद अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अब पूरी तरह से बदल गई है। तालिबान के फरमान के बाद बाजार में बुर्के और हिजाब की मांग बढ़ गई है। मांग के साथ-साथ कीमतों में भी बढ़ोतरी कर दी गई है। अचानक बढ़ी मांग को पूरा करने में परेशानी आ रही है। वहीं मांग की वजह से यहां हिजाब की कीमतों में तेजी से इजाफा हो गया है। तालिबान के फरमान को मानते हुए महिलाएं हिजाब खरीदने के लिए बाजार पहुंच रही हैं। महिलाएं ऊंची कीमतें चुकाकर हिसाब, पगड़ी और बुर्के खरीद रही है।
कीमतों में आई तेजी
रिपोर्ट्स के मुताबिक जहां दुकानदार पहले 6 से 7 हिजाब वबच रहे थें अब दिन में 25 से 30 हिजाब बेच रहे हैं। वहीं मांग का असर कीमतों पर हो रहा है, पहले एक हिजाब की कीमत 1000 अफगानी हुआ करती थी, जो अब बढ़कर 1200 से 1500 अफगानी पर पहुंच गया है। लोग अपनी बहनों, घर की महिलाओं के लिए हिजाब और बुर्के खरीद रहे हैं।
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