बीता हुआ हफ़्ता यानी (17 सितंबर) भारतीय राजनीति में एक अलग तरह की घटना के रूप में दर्ज हो गया है यह शायद पहली बार हुआ है कि किसी प्रधानमंत्री का जन्मदिन राजकीय योगदान के साथ ही पूरी मीडिया के लिए दिन भर धूमधाम और हल्ला गुल्ला का बायस बना रहा।
मोदी का जन्मदिन पूरे देश में सरकार और बीजेपी ने मिलकर पूरे उल्लास के साथ मनाया लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शायद यह पहली बार हुआ है कि देश के लगभग सभी कथित बड़े टीवी चैनलों ने अपने प्राइम शोज़ पर न सिर्फ बीजेपी के नेताओं को बल्कि स्वयं प्रधानमंत्री की तारीफ में क़सीदे पढ़े। इस मौके पर भारतीय मीडिया ने भारत के एक लोकतांत्रिक देश होने की मर्यादा लाज शर्म सब उतार फेंकी।
जिन स्वयं घोषित राष्ट्रवादी चैनलों ने मोदीजी के महान, बहुआयामी व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला है उनमें न्यूज़ 18, जी न्यूज़, एबीपी न्यूज़, इंडिया टीवी, रिपब्लिक, न्यूज़ नेशन, आजतक टाइम्स नाउ नवभारत जैसे भारतीय लोकतंत्र के चौथे स्तंभ शामिल हैं।
सिलसिलेवार तरीक़े से बात करते हैं और शुरुआत करते हैं मर्यादा पुरुषोत्तम अमीश देवगन वाले न्यूज़ 18 इंडिया से न्यूज़ 18 इंडिया पर इस अवसर पर भारतीय राजनीति के भोजपुरी गायक व हर मुद्दे पर उलूल जुलूल तर्क देने वाले मनोज तिवारी ने नवजात बच्चे की छठी बारहिं पर गाया जाने वाला सौहर गीत इकहत्तर साल के मोदी जी के लिए गाया गया।
ज़ी न्यूज़ के सुधीर ने तो पकोड़े से लेकर प्रधानमंत्री के बदलते लुक और स्टाइलिश दधि तक के क़सीदे पढ़ डाले।
रिपब्लिक इस रेस में कहाँ पीछे रह सकता था उसने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा देश को दी गई दिशा पंक्ति में खड़े आखरी व्यक्ति तक को महसूस करा दी रिपब्लिक के जमूरे यहीं नहीं रुके उन्होंने देश को विकास के पहिये पर सरपट दौड़ता हुआ भी बताया और मोदी से देश की जनता का मन का जुड़ाव होने की गवाही भी दी। हालाँकि सौ रुपये प्रति लीटर पेट्रोल ख़रीदवा कर जनता के मन से मोदी किस तरह जुड़े हैं और निजीकरण कर विकास का पहिया किस तरह सरपट दौड़ रहा है यह रिपब्लिक भारत जानता होगा।
इंडिया टीवी ने तो सरदार पटेल की विशालकाय प्रतिमा को ही न्यू इंडिया की गौरव गाथा का साक्षात प्रमाण बता दिया उसे गाथा से जोड़ते हुए प्रधामंत्री मोदी की कहानी ही सुना डाली।
न्यूज़ नेशन ने वाराणसी को मोदीमय बताते हुए 71 किलो के लड्डू के केक तक गिना डाला हालाँकि वाराणसी मोदी मय हुआ हो या ना हुआ हो लेकिन बीते माह हुई बारिश से वाराणसी जलमग्न ज़रूर हो गया था वाराणसी के लोगों घुटनों तक पानी में चलना पड़ा।
आजतक ने ऐसी इमोशनल कहानी सुनाई कि पीएम मोदी के पास जूतों में पॉलिश और स्कूल फीस भरने तक के पैसे नहीं थे आजतक ने पीएम को क्या खाना पसंद है और क्या बेहद पसंद है यह बात भी दर्शकों को बताई।
टाइम्स नाउ नवभारत ने तो प्रधानमंत्री के जलवे दुनिया भर में भिखेरने के साथ साथ वही रटा रटाया जुमला विपक्ष को ही उनके आगे बौना बता दिया।
एबीपी न्यूज़ ने तो तो पीएम की कहानी बताते हुए बैकग्राउंड म्यूजिक में “गर्मा गर्म चाय” की आवाज़ ही डालदी।
ज़ी न्यूज़ वालों ने आत्म समर्पण की दिशा में बाकियों से एक कदम आगे सुप्रीम लीडर की जीवन यात्रा पर एक पूरी फिल्म ही बना डाली।
आज से महज़ कुछ माह पहले जिस नेता के नेतृत्व में देश कोरोना की दूसरी लहर के सामने लस्त पस्त पड़ गया था उसे इस तरह के अशलील आयोजन करने के ना तो कोई नैतिक अधिकार हैं और ना ही सांस्कृतिक भारत वह देश है जहां किसी घर में एक मौत हो जाने के बाद पूरे साल उत्सव और त्यौहार रद्द कर दिए जाते हैं। यहां परिवार अपने परिजन की मौत का शोक पूरे साल मनाता है उसी देश में सिर्फ साढ़े चार माह पहले सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ 2 लाख से ज़्यादा लोगों की मौतें हुई हैं और देश का मुखिया अपने जन्मदिन की पार्टी में मस्त है। अनाधिकारिक आंकड़ों की बात करें तो मरने वालों का आंकड़ा 30 लाख से 22 लाख तक के बीच में बताया गया है।
साढ़े चारमाह पहले देश की सड़कों की हालत यह थी कि किसी को ऑक्सिजन नहीं मिल रहा था तो किसी को बेड अस्पतालों के बाहर लोग दम तोड़ रहे थे।
हालाँकि नेशनल मीडिया के इस तमाशे के बावजूद ट्विटर पर कुछ और ट्रेंड कर रहा था दरसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर ट्विटर पर दिनभर कई ऐसे हैशटैग ट्रेंड करते रहे, जिनसे ट्विटर यूज़र्स ने देश में बढ़ती बेरोज़गारी और देश में गहराते आर्थिक संकट की तरफ ध्यान आकर्षित किया और इस बारे में प्रधानमंत्री से भी जवाब मांगा
सोशल मीडिया पर इस दिन को राष्ट्रीय बेरोजगारी दिवस का नाम दिया गया और पूरे दिन #राष्ट्रीयबेरोजगारीदिवस, #नेशनलअनइम्पलॉएमेंटडे, #जुमलादिवस और #मोदीरोजगारदो जैसे हैशटैग भी ट्विटर पर ट्रेंड करते रहे लेकिन मीडिया के कानों में जूँ तक नहीं रेंग़ा।
इस बार मोदीजी के जन्मदिन पर यशगान करने की होड़ लगी और इस होड़ में अव्वल कौन रहा यह शायद प्रधानमंत्री स्वयं ही तय करेंग़े।