काबुल, अगस्त 21: अफगानिस्तान की सत्ता को अपने हाथ में ले चुके तालिबान को जल्द ही बहुत बड़ी खुशखबरी मिल सकती है। अमेरिका ने भले ही अफगानिस्तान की तिजोरी पर ताला जड़ दिया हो, लेकिन रिपोर्ट मिल रही है कि यूनाइटेन नेशंस तालिबान के आर्थिक संकट को बहुत हद तक कम कर सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के सौ से ज्यादा नेताओं को प्रतिबंधित लिस्ट से जल्द बाहर किया जा सकता है।
तालिबान को बहुत बड़ी राहत
यूनाइटेड नेशंस से मिल रही रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के प्रमुख अब्दुल गनी बरादर, हक्कानी नेटवर्क के सिराजुद्दीन हक्कानी और तालिबान के दूसरे 133 नेताओं को जल्द ही संयुक्त राष्ट्र की 1988 सेंक्शन कमिटी, प्रतिबंधित लिस्ट से बाहर निकाल सकता है। आपको बता दें कि बरादर को 23 फरवरी 2001 को प्रतिबंधित लिस्ट में शामिल किया गया था। इस साल जून में तालिबान के शीर्ष नेताओं को यात्रा प्रतिबंध पर कुछ छूट दी गई थी और इस छूट को 90 दिनों के लिए और बढ़ा दिया गया था, जो 21 सितंबर को समाप्त होगा। सूत्रों का कहना है कि तालिबान-अमेरिका सौदे के तहत तालिबानी नेताओं को प्रतिबंधित लिस्ट से बाहर निकाला जा सकता है।
तालिबान प्रतिबंध समिति करेगा फैसला
रिपोर्ट के मुताबिक, यूएन सेंक्शन कमिटी 1988, जिसे तालिबान सेंक्शन कमिटी भी कहा जाता है, उसका संशोधन 2011 में किया गया था, उसने अलकायदा पर 1267 अलग अलग प्रतिबंध लगाए थे। वहीं, भारत ने कहा है कि, ”ऐसे समय में जब अफगानिस्तान में हिंसा के खतरनाक स्तर को देखते हुए दुनिया भर में चिंता बढ़ रही है। तालिबान का अत्याचार बढ़ता जा रहा है।” उस वक्त संयुक्त राष्ट्र में भारत के दूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि, ”यूनाइटेड नेशंस 1988 कमिटी, अफगानिस्तान की शांति, सुरक्षा, विकास और प्रगति के लिए अपने मजबूत हित और प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए ‘हमेशा भारत के लिए एक उच्च प्राथमिकता रही है’।
प्रतिबंध हटने के बाद क्या होगा?
यूनाइटेड नेशंस से तालिबान के ‘राष्ट्रपति’ मुल्ला बरादर के साथ साथ उनके सैकड़ों नेताओ को बैन कर रखा है। लेकिन, पिछले कुछ महीनों ने तालिबान के टॉप लीडरशिप को छूट दी गई थी, ऐसे में अगर इनके ऊपर से प्रतिबंध हटाया जाता है, तो माना जाएगा कि अब ये तालिबानी नेता ‘आतंकवादी’ नहीं रहे और फिर ये किसी भी देश में आने जाने के लिए स्वतंत्र हो सकते हैं, बशर्ते उस देश ने पाबंदी नहीं लगाई हो। इसके साथ ही इन नेताओं को फ्रीज खातों से पैसों का लेन-देन शुरू हो जाएगा और सबसे बड़ी बात ये है कि इन नेताओं तक सीधे तौर पर कोई भी देश और संगठन बिना किसी रूकावट के पैसे पहुंचा सकता है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या धीरे धीरे सारे देश तालिबान को मान्यता दे देंगे?