मुस्तफा के अनुसार, मैंने पिछले साल इस पर काम करना शुरू किया था। हर रोज 18 घंटे सिर्फ इस काम में जाते। हाथ से कुरान लिखता रहता। इसके लिए कागज की चौड़ाई 14.5 इंच रखी गई, जबकि लंबाई पांच सौ मीटर रखी गई। दरअसल, मुस्तफा गणित में कमजोर थे और दसवीं की परीक्षा में फेल हो गए। इसके बाद उन्होंने कैलीग्रॉफी सीखी। लिखने के लिए पेपर जुटाना बड़ी चुनौती थी और इस काम में दो महीने का लंबा वक्त लग गया।
उन्होंने बताया कि यह पेपर खुले बाजार में उपलब्ध नहीं होता और मुझे बड़ी मात्रा में यह चाहिए था। इसके लिए दिल्ली की एक फैक्ट्री से संपर्क किया और उन्होंने यह रोल उपलब्ध कराया। इसके बाद एक खास तरह की कैलीग्रॉफी स्याही का प्रबंध करना पड़ा। कुरान लिखने का काम पिछले महीने जून में पूरा हो गया था। कुछ काम रह गया था जो अब जाकर पूरा हुआ है। पेपर रोल के किनारे पर डिजाइन बनाने में करीब एक महीने लगे। इसमें 13 लाख बिंदियों का इस्तेमाल कर खास डिजाइन बनाई गई है। इसके बाद कागज के रोल को लेमिनेट कराया।
लंबे समय से थी आरजू, अब पूरी हुई
मुस्तफा के अनुसार, यह पूरा काम दिल्ली में पूरा हुआ। इसमें करीब ढाई लाख रुपए खर्च हुए। मैं लंबे समय से चाहता था कि खुद कहीं कुरान लिखूं और अब जाकर यह इच्छा पूरी हुई। मुस्तफा के इस काम में उनके परिवार के लोगों ने भी सहयोग किया है। वहीं, इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसे देखने के बाद लोग उनके काम की तारीफ कर रहे हैं।