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Friday, April 19, 2024

नाबालिग के संरक्षण के मामले में उसके हित की संभावना सर्वोपरि- सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली, प्रेट्र। किसी नाबालिग के संरक्षण के मामले का फैसला करते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि कानूनी लड़ाई में बच्चे के भविष्य की बेहतर संभावनाएं तो खत्म नहीं हो रहीं।

इस तरह के मामलों में नाबालिग के कल्याण को सर्वोपरि रखा जाना चाहिए। मामले में संबद्ध पक्षों का विवाद हावी नहीं होना चाहिए। नाबालिग के हित के समक्ष उसका संरक्षण प्राप्त करने का दावा बेमानी है। सुप्रीम कोर्ट में यह बात जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कही।

मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने कहा, बच्चे का कल्याण और उसके भविष्य की बेहतरी को इस तरह के मामलों में प्रधानता देनी चाहिए। माता-पिता के व्यक्तिगत हितों और अधिकारों का दर्जा द्वितीयक होना चाहिए। शीर्ष न्यायालय इसी सोच पर चलते हुए नाबालिग की देखरेख का जिम्मा तय करने का कार्य करती है। लेकिन बच्चे के कल्याण को सर्वोपरि मानते हुए कोर्ट जब उसके संरक्षण का अधिकार किसी एक संरक्षक को दे तब उसे यह भी ध्यान रखना चाहिए कि दूसरे संरक्षक (माता या पिता) के अधिकार पर भी नकारात्मक प्रभाव न पड़े। उसे भी समय-समय पर बच्चे से मिलने और उसके कल्याण के लिए कार्य करने का मौका मिले।

किसी नाबालिग के देखरेख के लिए किसी एक संरक्षक की भूमिका का निर्धारण बहुत जटिल है। इसमें बच्चे के कल्याण को कई नजरियों से देखना होता है। सुप्रीम कोर्ट ने ये बातें अमेरिका में रहने वाले भारतीय पिता और उनकी पत्नी के बीच बेटे का संरक्षण प्राप्त करने की छिड़ी कानूनी लड़ाई के बीच कही हैं।

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Ahsan Ali
Ahsan Ali
Journalist, Media Person Editor-in-Chief Of Reportlook full time journalism.

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