लिवर से जुड़ी बीमारियों (Liver diseases) या लिवर कैंसर (Liver Cancer) के इलाज की दिशा में साइंटिस्टों को बड़ी कामयाबी मिली है. दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी (Jamia Millia Islamia University) के साइंटिस्टों ने लिवर कैंसर के लिए जिम्मेदार एक खास प्रोटीन की खोज की है. जामिया के सेंटर फॉर इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च इन बेसिक साइंसेज (Center for Interdisciplinary Research in Basic Sciences) और अमेरिका की जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी (George Washington University) के साइंटिस्टों ने नॉन एल्कोहोलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (non-alcoholic steatohepatitis) यानी नॉन एल्कोहालिक फैटी लिवर रोग (non alcoholic fatty liver disease) और लिवर कैंसर के इलाज के लिए इस रोग के बढ़ने के लिए शरीर मेंबीटा-2 (β2) स्पेक्ट्रिन प्रोटीन (SPTBN1) का पता लगाया है. ये स्टडी इस रोग के इफैक्टिव कंट्रोल में मददगार साबित होगी.
इस स्टडी के निष्कर्षों को अमेरिकन एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ साइंस द्वारा प्रकाशित जर्नल साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन (science translational medicine) में प्रकाशित किया गया है.
क्या कहते हैं जानकार
प्रसिद्ध गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट (Gastroenterologists) और जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में सर्जरी डिपार्टमेंट के सेंटर फॉर ट्रांसलेशनल मेडिसिन की निदेशक डॉ. लोपा मिश्रा (Lopa Mishra), जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी के डॉ मो. इम्तियाज हसन (Dr. Md Imtaiyaz Hassan), उनके रिसर्च फेलो ताज मोहम्मद (Taj Mohammad) व अन्य की टीम ने बीटा-2 (β2) स्पेक्ट्रिन प्रोटीन की भूमिका की जांच की, जो लिवर के रोग और गांठ बनने को बढ़ावा देता है.
इस जांच के दौरान रिसर्चर्स ने पाया कि यह प्रोटीन चूहों में लिवर कैंसर के विकास के लिए जिम्मेदार है. उन्होंने यह भी पाया कि इस प्रोटीन का प्रभाव कम करने से चूहों में आहार प्रेरित मोटापे, फाइब्रोसिस, फैट जमा होने और लिवर के टिशूज (liver tissue) को डैमेज होने से रोका जा सका. ये स्टडी दर्शाती है कि बीटा-2 (β2) स्पेक्ट्रिन प्रोटीन के प्रभाव को दवा के इस्तेमाल से कम करके लिवर की बीमारियों को बढ़ने से बचाया जा सकता है.
क्या होता है लिवर कैंसर
हेल्थशॉट्स (Health Shots) वेबसाइट से बातचीत में मुंबई के वॉकहार्ट हॉस्पिटल्स में गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, डॉ प्रतीक तिबदेवल (Dr. Pratik Tibdewal), बताते हैं कि लिवर कैंसर वह कैंसर है जो लीवर में कहीं भी पाया जाता है. उनका कहना है कि हेपेटाइटिस बी वायरस (HBV) या हेपेटाइटिस सी वायरस (HCV), या संक्रमण, की वजह से लिवर में फैट जमा होने लगता है, इसके अलावा ज्यादा शराब पीने से भी लिवर का कामकाज बाधित हो सकता है, जिससे कैंसर हो सकता है. डॉ तिबदेवल बताते हैं कि ऐसा नहीं कि केवल शराब पीने वालों को ही लिवर की बीमारी हो सकती है, उनका कहना है कि ये लिवर पर किसी तरह का फैट जमने से भी हो सकता है.